विवाह हिंदु धर्म का एक महत्वपूर्ण संस्कार हैं, और गृहस्थ जीवन का प्रारम्भ बिंदु हैं। समय व समाज के अनुसार विवाह की आयु में बदलाव होता रहा हैं। पूर्व काल में बाल विवाह का प्रचलन था। लेकिन अब वह प्रथा खत्म हो चुकी हैं। आज के समय में विवाह का अधिक उम्र में होना आम बात है लेकिन चिंता की बात तब होती हैं, जब अत्यधिक प्रयास करने पर भी विवाह नही हो पाता ज्योतिष शास्त्र में इन योगों के बारे में जाना जा सकता हैं व समय रहते इनके उपाय करने से इस समस्या को दूर किया जा सकता हैं।
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विवाह विलम्ब के कारण –
1- सप्तम स्थान का पीडीत होना- सप्तम स्थान को विवाह स्थान कहा जाता हैं। इस स्थान पर किसी पापी ग्रह का स्थित होना या 6,8,12 स्थान के मालिक का होना विवाह में बाधा व विलम्ब की सूचना देता हैं। सबसे अधिक विलम्ब शनि के इस स्थान पर होने से होता हैं। वक्री ग्रह का सप्तम में स्थित होना भी विवाह विलम्ब करवाता हैं।
2- सप्तमेष का पाप प्रभाव में होना- सप्तम भाव का मालिक यदि पापी ग्रहो के साथ स्थित हो या नीच अवस्था का हो तो विवाह में विलम्ब होता हैं। इसके अतिरिक्त सप्तमेष सूर्य के साथ हो अथवा 6ठें वा 12वें स्थान में स्थित हो तो विवाह में विलम्ब देता हैं।
3- स्त्रियों की जन्म कुंडली में गुरु व पुरुषों की जन्म कुंडली में शुक्र बलहीन हो तो विवाह विलम्ब होता हैं। ये दोनो ही ग्रह विवाह के कारक होते हैं। इन पर पापी ग्रह का प्रभाव जीवन साथी के सुखों में कमी दर्शाता हैं।
4- नवांश के लग्न व सप्तम स्थान पर पाप प्रभाव- नवांश के माध्यम से ग्रहों का बल वा जीवन साथी के सुखों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। नवांश लग्न व सप्तम भाव के पीडीत होने पर विवाह में विलम्ब होता हैं।
5- सही दशा का न प्राप्त हो पाना- दशा के अभाव में जन्म कुंडली के योग भी फल देने में असमर्थ होते हैं। इसीलिये भी विवाह में विलम्ब होता हैं।
6- शय्या सुख- व्यय स्थान शय्या सुख का स्थान होता हैं। इस स्थान पर दो से अधिक पापी ग्रहों का प्रभाव विवाह में विलम्ब करता हैं।
उपाय- यदि विवाह में विलम्ब हो रहा हो निम्न उपाय लाभदायक होते हैं-
1- पुरुषों को शुक्र ग्रह की उपासना करनी चाहिये। 3 कन्याओं को सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिये।
2- शिव पार्वति का युगल रुप में पूजन विवाह शीघ्र करवाता हैं।
3- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भी विवाह में विलम्ब नही होता।
4- केले के युगल पौधे का पूजन करने से शीघ्र विवाह होता हैं।
5- देवी के मंदिर में श्री फल व चुन्नी हर शुक्रवार के दिन चढायें। यह प्रयोग 21 शुक्रवार तक करें।
– पं० धनंजय शर्मा
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