हमारी पृथ्वी में अनेक प्रकार की भू सम्पदा विधमान हैं । कई प्रकार के ऐसे भी रत्न हैं जिनका प्रभाव आश्चर्य में डालने वाला हैं, कई वस्तुये इतनी शक्तिशाली होती हैं, जिन्हे हम सिर्फ कल्पित ही कर सकते हैं । रुद्राक्ष भी ऐसा ही अदभूत गुणो से युक्त फल हैं । यह साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता हैं । भगवान शिव के अश्रु (आँसू) से उत्पन्न रुद्राक्ष अनेक शक्तियो को अपने में समाहित किये हुये हैं । रुद्राक्ष न सिर्फ एक वनफल की गुठली ही है, वरन् उसके अन्दर असीम, असाधारण अनेक दिव्य शक्तियाँ भी समाहित हैं, जिनके प्रभाव से मानव हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त होकर शिवधाम को प्राप्त करता है |
रुद्राक्ष उत्पति – एक बार भगवान् शिव कई वर्षो की तपस्या में लीन हो गए थे। जब भगवान शिव की यह तपस्या पूरी हुई और तप के बाद उन्होंने अपनी आँखे खोली तो उस समय उनकी आँख से आंसू की कुछ बूंद ज़मीन पर गिरी थी। जिससे रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पति हुई।
दूसरा प्रसंग यह भी है कि त्रिपुर नाम के महादैत्य का संसार में आतंक व्याप्त था । तीनो लोको में विजय करने पर इस असुर को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाने लगा । भगवान शिव ने जब उसके अत्याचार को देखा तब उनकी आंखे क्रोध में लाल हो गयी । क्रोधित महादेव कि आंखो से अश्रु कि कुछ बूंद पृथ्वी पर आ गिरी जिनसे रुद्राक्ष की उत्पति हुई ।
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