जन्म कुंडली में कुछ ग्रहों की भूमिका इतनी बडी होती है की बाकी सभी ग्रहों को अपना फल उन ग्रहों के अनुसार देना पडता है। ये वे ग्रह होते है जो कि किसी व्यक्ति की सफलता के रास्ते तय करते है। इन्हे ‘की प्लेनेट’, मुख्य ग्रह और राजयोग कारक ग्रह भी कहा जाता है। ये जादुई ग्रह किसी भी जातक को अत्यधिक सफलता प्रदान कर सकते है क्योंकी ये बने ही सफलता देने के लिये है।
इन ग्रहों का प्रभाव करवा देता है सेप्रेशन…
किसे कहते है ‘की प्लेनेट‘-
प्रत्येक लग्न व राशि के लिये ग्रहों का अलग अलग फल होता है। कोई ग्रह एक राशि के लिये अशुभ तो दूसरी राशि के लिये शुभ होता है। शनि ग्रह को दुनियां खराब मानती आ रही है जबकी शनि वृषभ, तुला, मकर राशि के लिये सबसे शुभ ग्रह होता है। तो दूसरी तरफ कर्क और सिंह राशियों के लिये अशुभ है। सूर्य व चंद्र को छोडकर प्रत्येक ग्रह को दो दो राशियों का स्वामीत्व प्राप्त होता है। जब कोई ग्रह त्रिकोण का स्वामी हो साथ ही केंद्र का स्वामी भी हो तो वह ग्रह ‘की प्लेनेट’ कहलाता है। जैसे कर्क लग्न में मंगल पंचम स्थान तथा दशम स्थान का मालिक होता है।
‘की प्लेनेट‘ कैसे काम करता है-
‘की प्लेनेट’ के पीछे वही नियम काम करता है जिस नियम से राजयोग बनते है। यह ‘की प्लेनेट’ राजयोग की तरह या राजयोग से बढकर फल देता है। केंद्र स्थान और त्रिकोण स्थान को विष्णु व लक्ष्मी स्थान कहा जाता है। इन दोनो स्थानों के मालिक का एक होना ही की प्लेनेट की ताकत होती है। मुख्य ग्रह हमेशा अपनी सामर्थ्य के अनुसार शुभ फल देता है। जिस व्यक्ति का मुख्य ग्रह मजबूत व बली अवस्था का हो उसे निश्चित रूप से सफलता अवश्य मिलती है।
‘की प्लेनेट‘ के फल न देने की वजह-
जब ‘की प्लेनेट’ अस्त अवस्था या नीच अवस्था गत हो तो यह फल नही दे पाता जिस कारण जातक अत्यधिक परेशान हो जाता है। की प्लेनेट के निर्बली या बलहीन होने के कारण जातक को जीवन के अधिकतर क्षेत्रो में अनेक कष्टों का सामना करना पडता है। मुख्य ग्रह सम्बंधित दान व उपाय हमेशा करना चाहिये। पूरी कुंडली के फल को ‘की प्लेनेट’ अपने अनुसार मोड सकता है।
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