भोलेनाथ को क्यों प्रिय है बिल्वपत्र, भांग और धतूरा? जानिए इसके पीछे का रहस्य और औषधीय गुण

हम सभी जानते है की सावन मास शिव भगवान का सबसे प्रिय मास है। इस पूरे मास में शिव भक्त भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते है। बम बम भोले के गीत गाते हुए, झूमते हुए, भोलेनाथ की महिमा का गुणगान करते है। भोलेनाथ भी अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाते है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त अनेक तरीके अपनाते है। भगवान को भांग, धतूरा और बिल्वपत्र बहुत प्रिय है। लोग इसे शिवलिंग पर चढाते है। आखिर भगवान शिव को ये वस्तुएं इतनी प्रिय क्यों है, इसके पीछे का रहस्य क्या है? ये आज हम इस लेख के द्वारा जानेंगे। 

बिल्वपत्र के चढ़ने के पीछे की कहानी  

सागर मंथन के समय भगवान शंकर ने सागर में मंथन से उत्पन्न हालाहल विष को पीकर सृष्टि तथा इस धरती को नष्ट होने से बचाया था तब भगवान शिव के सिर से हालाहल की गर्मी को दूर करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव के सिर पर धतूरा भांग और बिल्वपत्र रखा था, इस प्रकिया के बाद शिव भगवान के सिर से विष दूर हो गया था। इसलिए भोलेनाथ को भांग, धतूरा और बिल्वपत्र अति प्रिय है। शास्त्रों में बिल्वपत्र के तीन पत्तों को रज, सत्व और तमोगुण का प्रतीक माना गया है, साथ ही यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है इसलिए भोलेनाथ की पूजा में बिल्वपत्र का प्रयोग शिव भक्तों द्वारा अधिक मात्रा में किया जाता है।

बिल्वपत्र – भगवान शिव के पूजन में बिल्वपत्र का अत्यंत महत्व है। शिवलिंग पर प्रतिदिन नियमित रूप से बिल्वपत्र चढाने से सभी समस्याएं दूर होती है। शिव भक्तों को कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता। मान्यता है की बिल्वपत्र अपने घर, दूकान या कार्यक्षेत्र की तिजोरी में रखने से बरकत होती है। बिल्वपत्र की एक खासियत है की यह 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता। इसे एकबार शिवलिंग पर चढाने के बाद पुन्हा धोकर भी चढ़ाया जाता है। यह प्रकृति की अनमोल धरोहर है। इसलिए इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। इस बात का अवश्य ध्यान रखें की बिल्वपत्र कटे या फटे न हो ये 3 से लेकर 11 दलों तक मिलते है। रूद्र के 11 अवतार होते है इसलिए 11 दलों वाले बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से भोलेनाथ शीघ्र ही प्रसन्न होते है। 

बिल्वपत्र के औषधीय गुण

  • बिल्वपत्र को औषधि के रूप में प्रयोग में लिया जाता है। इसमें इगेलिन तथा इगेलेनिन नामक क्षार तत्व औषधीय गुणों से भरपूर होते है।
  • लोग गर्मियों में बेल का शरबत पीते है। इसकी तासीर ठंडी होती है, यह वात रोग, पित्त तथा कफ को नियंत्रित करता है तथा पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
  • आयुर्वेद में बिल्वपत्र की बड़ी महीमा है। शुगर की बीमारी में त्रस्त लोगों के लिए बिल्वपत्र रामबाण औषधि है
  • यह गैस, कफ और अपचन की समस्या को दूर करने में सक्षम होता है। पेट से सम्बंधित समस्याओं में भी यह फायदेमंद होता है।

भांग- महाशिवरात्री हिन्दुओं का पवित्र पर्व है, इस दिन शिव भक्त भांग का सेवन करते है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तमाम भक्त शिवरात्री के दिन भांग का सेवन करते है। आप में से कई लोग यह सोचते होंगे की आखिर भगवान शिव भांग क्यों पीते है और उन्हें भांग इतनी प्रिय क्यों ह? जब की भांग एक नशीला पदार्थ है। आइए जानते है भगवान शिव के भांग पीने के पीछे क्या रहस्य है। वैसे तो भांग एक विषैला पदार्थ है, लेकिन शरीर में पहले से ही कोई विषैला पदार्थ है तो उसे ख़त्म भी  करता है भांग। हम सभी इस बात से अनजान नहीं है की समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को ग्रहण कर भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया था।  

अभिमंत्रित 5 मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करें

भांग के औषधीय गुण

  • अक्सर देखा जाता है की भांग पीने के बाद लोग खुशी महसूस करते है। भांग खाने से डोपामीन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। जो हमारे मूड को कंट्रोल करता है और ख़ुशी के स्तर को बढ़ाता है।
  • भांग पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है। अगर आपके शरीर पर कहीं घाव है तो उस जगह पर भांग की पत्तियों का लेप बनाकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
  • अगर आपकी त्वचा बहुत ही रुखी और खुरदरी है, तो त्वचा पर भांग की पत्तियों का लेप बनाकर लगाने से त्वचा चिकनी और मुलायम हो जाती है। इसका सेवन कम मात्रा में करने से खराब मूड ठीक हो जाता है तथा आपकी इन्द्रियों और संवेदनाओ की तीव्रता में वृद्धि होती है।
  • श्रवण इंदियों को भी यह मजबूती प्रदान करता है, इसके प्रयोग से स्पष्ट सुनाई देता है, आँखों की रोशनी तेज होती है।
  • भांग के बीज प्रोटीन और अमीनो एसिड से भरपूर है, जो कैलोरी को जलाने वाली माँसपेशियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भांग को मानवहित के लिए एक औषधि का नाम भी दिया गया है।       

धतूरा

धतूरा शिव भगवान को प्रिय है। धतूरे को अन्य भाषा में मदन, उन्मत्त, शिवप्रिय कृष्ण धतूरा धोत्रा, ततूर, दतुरम आदि नामों से जाना जाता है। यह एक क्षुप जाति की वनस्पति है। यह काले-सफ़ेद रंग का होता है। यह लगभग 1 मीटर तक ऊँचा होता है हिन्दू लोग धतूरे के फूल और फल और पत्ते भोलेनाथ तथा शिवलिंग पर चढ़ाते है। हिन्दू धर्म में धतूरे का इस्तेमाल भांग बनाने में किया जाता है, शिवरात्री के दिन शिवभक्त भांग का सेवन करते है । आयुर्वेद के ग्रंथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है, परन्तु अल्प मात्रा में इसका प्रयोग करने से कई रोग ठीक होते है।  

धतूरे के औषधीय गुण

  • धतूरा औषधि के रूप में प्रयोग में लिया जाता है। बवासीर के रोग से छुटकारा पाने के लिए धतूरे के पत्तों का इस्तेमाल लिया जाता है।
  • शरीर की सूजन को कम करने के लिए धतूरे के पत्तों को पीसकर लगाने से सूजन, गठिया और हड्डी के दर्द में आराम मिलता है। काले धतूरे के बीज को पीसकर इसका चूर्ण आधी रत्ती की मात्रा में लेने से बुखार में आराम मिलता है और शरीर में आराम मिलता है।
  • जिस कान में दर्द हो उसमे धतूरे के ताजे पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस की 2 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

जिन लोगों के हाथों-पैरों में अधिक पसीना आता है उन्हें नियमित रूप से 1-1 ग्राम की मात्रा में धतूरे के बीज की राख खाने से पसीना आने के रोग से मुक्ति मिलती है।

अभिमंत्रित 5 मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करें

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here