हिंदू धर्म में पीपल को भगवान विष्णु के स्वरूप के समान माना जाता है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा था वृक्षों में मैं पीपल हूं, यह उक्ति पीपल के महत्व को दर्शाती है। पीपल में 33करोड देवी देवताओं के वास होने के कारण इसे अत्यधिक पूजनिय माना जाता है। पीपल को संस्कृत में प्लक्ष कहा जाता हैं। पीपल के धार्मिक महत्व के अतिरिक्त आयुर्वेद में भी अत्यधिक महत्व है। इसे औषधीयों का खजाना कहा जाता हैं। पीपल के महत्व के कारण ही इसे वृक्षराज कि संज्ञा प्राप्त है-
ज्योतिष अनुसार पीपल का महत्व- ज्योतिष शास्त्र में अनेक ग्रहों की शांति में पीपल का प्रयोग किया जाता है। शनि, गुरु, मंगल व चंद्र के उपाय पीपल के वृक्ष के पूजन करने से हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त पितृदोष, धन का अपव्यय, मंगल दोष आदि दोषों का शमन भी पीपल के वृक्ष का पूजन करने से हो जाता है-
1- पीपल वृक्ष का पूजन करने से भगवान विष्णु की प्रसन्नता प्राप्त होती है। व्यक्ति की सभी कामनाओं की पूर्ति हो जाती हैं।
2- यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में पितृ-दोष की स्थिति बनी हुई हो तो उस जातक को पीपल की पूजा करनी चाहिये। पीपल के वृक्ष को पानी देना तथा परिक्रमा करना पितृ-दोष का एक उत्तम उपाय है।
3- शनि की पीडा यदि अत्यधिक परेशान कर रही हो या साढेसाती का प्रभाव हो तो शनिवार के दिन दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिये तथा आसपास यदि चीटियां हो तो उन्हे कुछ दाना खाने को दें।
4- कहा जाता है की एक पीपल वृक्ष लगाने और उसके पालन करने से जन्म कुंडली के अनेक दोषों का शमन हो जाता है। तथा व्यक्ति को अक्षय पुण्य का फल प्राप्त हो जाता है।
5- जन्म कुंडली में यदि अल्पायु योग हो तो पीपल के वृक्ष में सिंदूर चढायें अवश्य रोग और अल्पमृत्यु जैसे दोषों से छुटकारा प्राप्त होगा।
पीपल के औषधिय उपाय- अर्थवेद में पीपल को अनेक दोषों का शमनकारी कहा गया है। यह एक दिव्य औषधी है, पीपल का प्रत्येक भाग उपयोग किया जाता है। पीलिया, रतौंधी, मलेरिया, खाँसी और दमा तथा सर्दी और सिर दर्द में पीपल की जड, टहनी, फल और पत्तो का प्रयोग किया जाता है। पीपल के मुख्य प्रयोग-
1- पीपल की छाल के अंदर के भाग को सुखाकर उसे पीसने के बाद सेवन किया जाता है। यह प्रयोग दमा रोग के लिये रामबाण कारी कहा जाता है।
2- चरक सहिंता में कहा गया है कि पीपल छाती के रोग और हृदय रोग का शमक होता है।
3- पीपल को विषनाशक भी कहा गया है। इसका प्रयोग निद्रा के रोग या सुस्ती दूर करने वाली व उत्तेजना बढाने वाली होती है।
4- पीपल का प्रयोग गुप्त रोगों हेतु भी किया जाता है। स्तम्भन(शीघ्र-पतन) व उत्तेजना के लिये इसका प्रयोग चमत्कारी है।
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