स्कंद पुराण में पाताल भुवनेश्वर गुफा का वर्णन आता है। पुराणों के अनुसार यहां साक्षात शिव का वास है, 33 करोड देवता शिव के पूजन के लिये यहां आते हैं। देवभूमी उत्तराखण्ड के पिथौरागढ जनपद में स्थित यह गुफा बाहर से अत्यधिक साधारण दिखती हैं परंतु इस गुफा में ऐसे रहस्य विद्धमान है जिनको देखकर और जानकर दांतो तले उंगली दबानी पडती है। बाहर से अत्यधिक संकीर्ण गुफा में जैसे तेसे जंजीरों के सहारे घसीट-घसीट कर जाना पडता है। लेकिन अंदर पहुंचते ही आप अपने को रोमांचित हुआ महसूस करोगे।
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अनेक पौराणिक घटनाओं को अपने अंदर समेटे हुये इस गुफा में एक हवन कुंड है जिसके बारे में दो कथा प्रचलित हैं एक यह वही हवन कुंड है जिसमे माता सती ने अपने शरीर का त्याग किया था दूसरी मान्यता के अनुसार यह हवन कुंड जनमेजय के नाग यज्ञ वाला हवन कुंड हैं जिसमे समस्त नाग भस्म हो गये थे।
गुफा की दिवारों पर अनेक पौराणिक कथाओं के अंश उल्लेखित हैं। इस गुफा में केदार नाथ, बदरीनाथ के दर्शन होते हैं। ठीक इनके सामने देवताओं का समुह स्थित हैं जिनमे मुख्य रूप से लक्ष्मी, यम, कुबेर, वरूण, गरूड, गणेश आदि हैं। इन देवताओं के ऊपर बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं बाबा अमरनाथ की लम्बी-लम्बी जटायें दिखाई पडती हैं।
इस गुफा के बाहर ही पाण्डवों ने तपस्या करी थी। बाद में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस गुफा के दर्शन करे थे तब उन्होने गुफा का वर्णन किया था की यह एकमात्र ऐसा स्थल हैं जहां चारों धाम के दर्शन एक साथ हो जाते हैं।
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गुफा के अंदर एक विशाल शेषनाग बना हुआ। गणेश की कटी गर्दन, अमृत कलश, कामधेनु के थन (जिनसे पहले दूध बहता था लेकिन अब जल बहता है), एरावत हाथी के पद, समुद्र मंथन, आदि अनेक ऐतिहासिक घटनाओं की सजीव अनुभूती करवाने वाली इस गुफा में ब्रह्मा, विष्णु, महेश की मूर्तिया स्थापित हैं जिन पर एक ही छेद से क्रमनुसार पहले ब्रह्मा, फिर विष्णु फिर महेश पर जल प्रवाहित होता है। आगे दो खुले दरवाजें हैं जिन्हें धर्म द्वार और मोक्ष द्वार कहा जाता है एक स्थान पर चार स्तम्भ दिखते हैं जो चारों युगों के प्रतिक हैं। कलियुग का स्तम्भ अन्य से कुछ बडा है, इस कलयुग के स्तम्भ के विषय में कहा जाता है की इस स्तम्भ की लम्बाई धीरे-धीरे बढ रही है, जब यह दीवार से मिल जायेगा उस समय प्रलय होगी।
इस रहस्य मयी गुफा के दर्शन से समस्त पापों का क्षय हो जाता हैं, आश्चर्य यह भी है की गुफा के इतने अंदर होने के बावजूद भी यहां घुटन नही होती। देवदार के घने जंगलों के बीच हजारों सैलानियों व धर्मालु जनों के लिये पाताल भुवनेश्वर अनेक रहस्यों और रोमांच से भरा हुआ हैं।
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