राक्षस के पुण्यों से बना एक तीर्थ….मिलता है मोक्ष

विष्णु पुराण के अनुसार भस्मासुर के वंश में गयासुर नाम का एक राक्षस हुआ, गया सुर भगवान विष्णु का परम भक्त था। उसने अपनी तपस्या के बल पर अत्यधिक पावनता व पवित्रता प्राप्त कर ली थी। उसके अंदर असुरता का कोई भाव नही रह गया था।

“रुद्राक्ष” के कुछ अनुभूत प्रयोग…

वह निर्मल हो चुका था, उसने सोचा सभी को पवित्र और स्वर्ग प्राप्त होना चाहिये जिससे कोई भी नरक की यातनाओं को प्राप्त न करें। इस भावना से उसने कई वर्षो तक विष्णु जी की तपस्या करी, भगवान विष्णु  गयासुर से अत्यधिक प्रसन्न हुये और वरदान मांगने को कहा। गयासुर ने कहा भगवान मुझे स्वर्ग का अधिकार दे दिया जाये, तब भगवान बोले की मैं तो यह अधिकार पहले ही धर्मराज को दे चुका हूं तुम कुछ और मांग लो। भगवान के ऐसा कहने पर गयासुर ने वरदान मांगा हे ईश्वर मैं जिसे चाहूं उसे स्वर्ग प्राप्त हो तथा मेरे शरीर से जो कोई भी स्पर्श करेगा उसे स्वर्ग की प्राप्ती हो जायेगी ऐसा वरदान दें। भगवान विष्णु ने अपने प्रिय भक्त को यह वरदान दे दिया।

Horoscope 2025

 

समय बितने के साथ-साथ तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। विधि का विधान पलटने लगा। दुष्ट व असुरी प्रवृति वाले अनेक अपराध कर गयासुर का स्पर्श प्राप्त कर स्वर्ग जाने लगें। इस वरदान से सभी को स्वर्ग प्राप्ती होने लगी तो यमराज व धर्मराज के साथ अनेक देवगण चिंतित होने लगे। अत्याचारी बिना भय के दुष्क्रम व अत्याचार करते।

शंख का प्रयोग, मिटाये अनेक रोग…

जब सभी देव-गण व्यथित हो उठे तो समाधान हेतु वे ब्रह्मा जी के पास गये। ब्रह्मा जी ने कहा गयासुर का नाश नही किया जा सकता। उसके साथ साक्षात विष्णु हैं लेकिन यदि गयासुर को किसी पवित्र काम के लिये बोला जाये तो वो निश्चित पूर्वक स्वीकार कर लेगा।

Janam Kundali

 

तब ब्रह्मा जी गयासुर के पास पहुंचे और बोले हे पवित्र गयासुर हमे यज्ञ हेतु सर्वाधिक पवित्र स्थल चाहिये। ब्रह्मा जी के वचन सुन गया सुर ने कहा भगवन आप जो स्थल चाहे वो ले सकते हैं। भगवान ब्रह्मा ने कहा हे गयासुर मुझे आपका शरीर चाहिये क्योंकी तीनों लोकों में आप के शरीर से पवित्र स्थल कोई नही हैं। गयासुर ने इस बात को सहर्ष स्वीकार कर लिया और यज्ञ हेतु अपना शरीर ब्रह्मा जी को दान कर दिया।

ग्रहों का आपकी वाणी पर प्रभाव..

गयासुर का शरीर पांच योजन तक फैल गया। इसी पांच कोश को गया के नाम से जाना जाता हैं। कहते हैं जब यज्ञ में भगवान विष्णु का आवाह्ण किया गया तो वे भक्त गयासुर के हृदय स्थल पर विराजमान हुये और गयासुर को वरदान दिया आज से जो भी इस स्थल पर अपने पित्रों के निमित्त दान या पूजन करेगा। उसके कुल के सारे पाप नष्ट हो जायेंगे और स्वर्ग की प्राप्ती होगी। इस स्थल में सदा मेरा वास होगा और गया के नाम से जाना जायेगा।

Buy Gemstones

 

गयासुर के पवित्र और निश्चल बलिदान से देवगण भी सहसा पुष्प वर्षा करने लगे चारों दिशा में गयासुर की जय जय कार गूंज उठी।

36 साल बाद बनेगा ये योग ‘होगा जंगलराज ‘

किसी भी जानकारी के लिए Call करें :  8285282851

ज्‍योतिष से संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : Astrologer on Facebook

5/5 - (2 votes)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here