ज्योतिष शास्त्र एक अथाह सागर के समान हैं जिसका छोर कहीं नही दिखता। बडे-बडे ज्योतिषि भी घुमावदार ज्योतिष के नियमों में ही फंसे रह जाते हैं। अनेक लोगों को विभिन्न ज्योतिषियों के बार-बार चक्कर लगाने पडते हैं। उन्हे यही नही मालूम चल पाता की वास्तव में उन्हे कौन सा ग्रह परेशान कर रहा है। एक ज्योतिषि जो बताता है उसके उलट अन्य ज्योतिषि बताते हैं, जिस कारण आज ज्योतिष विद्धा का परिहास बढता जा रहा है।
आज मैं आपकों इन नियमों के फेर से बचने के लिये प्रत्येक ग्रह के अशुभ फल बता रहा हूं जिनकी मदद से आप आसानी से जान पाओगे की वास्तव में आप को कौन सा ग्रह परेशान कर रहा हैं। ये किसी पुस्तक का लेख न होकर मेरे अनुभव पर अधारित हैं जिन्हे मैने कई बार परखा है।
अशुभ सूर्य के प्रभाव
पहचान- व्यक्ति के अंदर अहंकार की भावना बढना, पैतृक घर में बदलाव होना, घर के मुख्य को परेशानी आना, कानूनी विवादों में फंसना, पिता के कारण या उसकी सम्पति के कारण विवाद होना, पत्नि से विछोह होना, सीनीयर अधिकारी से विवाद, दांत, बाल, आंख व हृदय में रोग होना, सरकारी नौकरी में अडचन आना आदि।
अशुभ चंद्र के प्रभाव
पहचान- घर-परिवार के सुखों में कमी आना, मानसिक रोगों से परेशान होना, भय व घबराहट की स्थिति बनी रहना, माता से दूरियां, सर्दी-जुखाम रहना, छाती सम्बंधित रोग, या रोगों का बना रहना, कार्य व धन में अस्थिरता।
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अशुभ मंगल के प्रभाव
पहचान- मन में क्रोध व चिडचिडापन रहना, भाइयों से विरोध होना, रक्त सम्बंधी विकार, मकान या जमीन के कारण परेशान होना, अग्निभय या चोट-खरोच लगना, मशीन इत्यादि से नुकसान होना।
अशुभ बुध के प्रभाव
अल्पबुद्धि होना, बोलने और सुनने में दिक्कत होना, आत्मविश्वास की कमी होना, नपुंसकता, व्यापार में हानि होना, माता से विरोध होना, शिक्षा में बाधायें आना, मित्रों से धोखे मिलना।
अशुभ गुरु के प्रभाव
बडे भाई, गुरुजन से विरोध व अनैतिक मार्ग से हानि होना, अधिकारी से विवाद, अहंकारी होना, धर्म से जुडकर अधर्म करना, पाखंडी, स्त्रियों के विवाह सुख को हीन करना, संतान दोष, अपमान व अपयश होना, मोटापा आना, सूजन व चर्बी के रोग होना।
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अशुभ शुक्र के प्रभाव
अशुभ शुक्र स्त्रि सुखों से दूर करता हैं, सेक्स रोग, विवाह बाधा, प्रेम में असफलता मिलना, चंचल होना, अपने साथी के साथ धोखा करना, सुखों से हीन होना,
अशुभ शनि के प्रभाव
शनि के कारण जातक झगडालूं, आलसी, दरिद्री, अधिक निद्रा आना, वैराग्य से युक्त, पांव में या नशों से सम्बंधित व स्टोन की दिक्कत आना, उपेक्षाओं का शिकार होना, विवाह बाधायें आना, नपुंसकता आदि होना।
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राहु के प्रभाव
नशे इत्यादि के प्रति रूचि बढना, गलत कार्यो से जुडना, शेयर मार्किट आदि से हानि होना, घर-गृहस्थी से दूर होना, जेल या कानूनी अपराधों में संलग्न होना, फोडे फुंसी व घृणित रोग होना।
अशुभ केतु के प्रभाव
केतु के प्रभाव राहु मंगल के मिश्रित फल जैसे होते हैं। अत्यधिक क्रोधी, शरीर में अधिक अम्लता होना जिस कारण पेट में जलन होती हैं तथा चेहरे पर दाग धब्बे होते हैं। किसी प्रकार के आप्रेशन से गुजरना पडता हैं।
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