ज्योतिष शास्त्र में अनेक राजयोग विद्धमान हैं। लेकिन कुछ योग ऐसे भी हैं जो राजयोग तो नहीं हैं लेकिन राजयोग से कहीं बढकर फल देने वाले हैं। ऐसा ही चमत्कारी योग कलानिधि योग है, यह राजयोगों का भी राजयोग हैं, कभी न समाप्त होने वाला फल इस योग का होता है, तथा सम-विषम हर परिस्थिति में फल देने में सक्षम यह योग व्यक्ति को निरंतर उन्नती प्रदान करता है। राजयोग भाग्य पर निर्भर करते हैं इसलिये क्षणिक होते हैं, जबकी कलानिधि योग पूर्णत: व्यक्ति के चरित्र और मेहनत के बलबूते बनता है इसलिये क्षीण होने का भय नही होता।
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कला निधि योग-
यह योग गुरु,शुक्र व बुध के संयुक्त प्रभाव से बनता है। गुरु यदि दूसरे या पांचवें स्थान पर शुक्र-बुध के साथ स्थित हो या इनके दृष्टी प्रभाव में हो तो कलानिधि योग बनता हैं। इसके अतिरिक्त यह योग तब भी फल देता हैं जब गुरु,शुक्र व बुध एक साथ लग्न, नवम या सप्तम स्थान पर स्थित हो।
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कलानिधि योग का प्रभाव व फल-
इस योग को सरस्वती योग के नाम से भी जाना जाता हैं। कला निधि योग इंसान को सच्ची सफलता प्रदान करता हैं। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति अनेक क्षमताओं से युक्त होता है। विभिन्न प्रकार का ज्ञान उसकी बुद्धि क्षमता को प्रदर्शित करता है। ऐसे जातक ज्ञानी, दानी, राजाओं द्वारा सम्मानित, विभिन्न प्रकार के सुखों को भोगने वाला तथा कलाओं की खान होता हैं।
कला निधि योग में जन्में जातक भले ही किसी भी पृष्ठभूमि से हो लेकिन असीमीत सफलता प्राप्त करते हैं। इन्हे किसी की दया या पैतृक सम्पदा प्राप्त नही होती अपितु सारा कुछ इनकी मेहनत के बल पर प्राप्त होता हैं।
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