बिल्व वृक्ष
शिव पुराण में बिल्व वृक्ष को अत्यधिक चमत्कारिक बताया गया है। शिव ने इसे कल्पवृक्ष के समान सभी कामनाओं की पूर्ती करने वाला बताया है। यह वृक्ष सम्पन्नता का प्रतीक है, बिल्व पत्र अत्यधिक पवित्रता प्रदान करने वाले व समृद्धि देने वाले है। शिव के अत्यधिक प्रिय बिल्वपत्र अनेक गुणों से सम्पन्न हैं, ज्योतिष व आयुर्वेद में भी बिल्वपत्र को अत्यधिक महत्व देखने को मिलता है।
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शिवलिंग
– यदि धन के आगमन में बाधायें आ रही हो अथवा धन से सम्बंधित किसी भी प्रकार की समस्या परेशान कर रही हो तो शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिये। जन्मकुंडली के दूसरे भाव की मजबूती हेतु यह अत्यधिक सटीक उपाय है।
– कोई गम्भीर कष्ट हो अथवा मृत्यु भय निरंतर परेशान कर रहा हो अथवा डॉक्टरी उपचार काम न कर रहे हो, असाध्य कष्ट से मुक्ति हेतु बिल्वपत्र का पूजन कर उसे शिवलिंग पर चढाना चाहिये।
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रोग निवारण
– गुप्त रोग व सेक्स रोग बिल्व प्रयोग से शांत होते है। बिल्व पत्र के सात दिन तक सोने से पूर्व मुहं में रखने से स्वप्न दोष समाप्त हो जाता है।
– पुराणों में द्वादशी तिथि व रविवार के दिन बिल्व वृक्ष के पूजन का महत्व बताया गया है, इस पूजन से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है।
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शिव का वास
– बिल्व वृक्ष के मूल में शिव का वास होता है, बिल्व वृक्ष के मूल का नित्य पूजन करने वाले भक्त किसी भी समस्या से हमेशा निवृत रहता है।
– आयुर्वेद में बिल्व फल को पेट के लिये अत्यधिक लाभकारी बताया गया है। आचार्य चरक व आचार्य सुश्रुत दोनों ने ही बिल्वफल को संग्राही बताया है। ये पाचन संस्थान हेतु दिव्य औषधि का कार्य करती है।
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