भक्ति और आस्था का मेला उज्जैन का सिंहस्थ पर्व

भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में पवित्र शिप्रा नदी के तट पर लगने वाले सिंहस्थ मेले का भक्‍तों के बीच बड़ा महत्‍व है। हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान कुंभ का दृश्‍य बेहद भक्तिमय और मंत्रमुग्‍ध रहता है। प्रत्‍येक 12 वर्ष में शिप्रा नदी के किनारे होने वाले कुंभ मेले में लघु भारत का दृश्‍य प्रस्‍तुत होता है। कुंभ में स्‍नान करने से कई गुना अधिक पुण्‍य की प्राप्ति होती है और सारे पापों से मुक्‍ति मिलती है। देश-विदेश से करोड़ों की संख्‍या में आने वाले श्रद्धालु भक्‍तिरस में डूबे नजर आते हैं। क्‍या देशी और क्‍या विदेशी यहां हर कोई भारतीय संस्‍कृति को प्रणाम करता है। नागा बाबाओं और साधुओं के लिए तो कुंभ किसी त्‍योहार से कम नहीं है। इसका महत्व, इस मेले का उल्लास वही समझ सकता है जिसने इसे स्वयं महसूस किया हो। यह केवल एक मेला नहीं है, यह एक अद्भुत अनुभव है। चारों ओर श्रद्धालुओं, साधु, विद्वान, ऋषि-मुनि और वे परिवार जो कुंभ मेले के दौरान पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पाप धोने आते हैं उनकी भीड़ लगी रहती है। सिहस्‍थ मेला धार्मिक जागृति द्वारा मानवता, त्‍याग, सेवा, उपकार, प्रेम, अनुशासन, अहिंसा जैसे गुणों को स्‍थापित करता है।

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सिंहस्‍थ मेले की कथा

देवता और दानवों के बीच समुद्रमंथन के दौरान अमृत कलश निकला था। दानवों के साथ अमृत न बांटनें की इच्‍छा से देवराज इन्द्र के संकेत पर उनके पुत्र जयन्त ने अमृत कुम्भ लेकर भागने की चेष्‍टा की,  दानवों ने उनका पीछा किया। इसी दौरान अमृत कलश की चार बूंदें धरती पर गिरी थी। अमृत कलश को लेकर देवताओं और दानवों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला, जो धरती पर बारह वर्ष के बराबर है।

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इस वर्ष का कुंभ

मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन में इस वर्ष अप्रैल में सिंहस्‍थ कुंभ की तैयारियां जोर-शोर से चल रहीं हैं। 12 वर्षों के पश्‍चात् 22 अप्रैल से लेकर 21 मई 2016 तक एक बार फिर इस मेले में साधु केसरिया बाना पहने और माथे पर शिव विभूति लगाए दिखेंगे।

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शाही स्‍नान

सवा सात किलोमीटर के नए-पुराने घाटों में प्रथम स्नान 22 अप्रैल को होगा। 9, 11, 17, 19 मई को अन्‍य स्‍नान की विधि पूरी की जाएगी। विश्‍व के लगभग 100 देशों से श्रद्धालु इस मेले में स्‍नान करने आएंगें। 5 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है जिसके चलते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस बार स्विस टैंटों में आगन्तुकों के लिए 5 सितारा व्यवस्था होगी।

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आयोजन

सिंहस्‍थ मेले में सांस्‍कृतिक, धार्मिक आयोजन किए जाएंगें। अप्रैल में पेशवाई के साथ 1-6 मई को पंचक्रोशी यात्रा निकाली जाएगी। धार्मिक प्रवचन और सत्‍संग से मेले का वातावरण भक्‍तिमय रहेगा।

व्‍यवस्‍था

मेले के आयोजन के लिए 4000 हेक्टेयर क्षेत्र प्रस्तावित किया गया है। इस बार मेले में व्यवस्थाओं-निर्माण के लिए 773 करोड़ रुपए खर्च की अनुमति सरकार से ली गई है। सिंहस्‍थ क्षेत्र में 100 किमी में अस्‍थायी सड़कों का निर्माण किया जाएगा एवं उज्‍जैन में आवागमन की व्‍यवस्‍था को दूरूस्‍त करने के लिए चौकस व्‍यवस्‍था की जा रही है।

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