इसे अपने पास रखने से स्‍वयं मां लक्ष्‍मी का मिलता है आशीर्वाद

श्री यंत्र

‘श्री यंत्र’ देवी लक्ष्‍मी, सरस्‍वती, धन, संपदा और संपन्‍नता का प्रतीक है। इसके नियमित पूजन से घर में देवी लक्ष्‍मी की कृपा बरसती है। माना जाता है कि श्री यंत्र में पूरा ब्रह्माण्‍ड समाया हुआ है। इसकी साधना से धर्म, मोक्ष, अर्थ, काम की प्राप्‍ति होती है। मान्‍यता है कि श्री यंत्र प्रकृतिमयी देवी भगवती महात्रिपुर सुंदरी का आराधना स्थल है। यह ऐसा सिद्ध यंत्र है जिसकी उपासना समस्‍त देवी-देवताओं की आराधना के समान है।

देवताओं का स्‍थान

नवचक्रों से बने इस यंत्र में चार शिव चक्र, पांच शक्ति चक्र होते हैं। इस प्रकार इस यंत्र में 43 त्रिकोण, 28 मर्म स्थान, 24 संधियां बनती हैं। तीन रेखा के मिलन स्थल को मर्म और दो रेखाओं के मिलन स्थल को संधि कहा जाता है।

लाभ

श्री यंत्र का प्रभाव इतना शक्‍तिशाली है कि यदि इसको अभिमंत्रित कर इसकी स्‍थापना की जाए तो अवश्‍य ही वहां संपन्‍नता की वर्षा होती है। ऊर्जा का भंडार माने जाने वाले इस यंत्र को सभी यंत्रों का राजा कहा जाता है। श्री यंत्र की स्‍थापना से घर में नकारात्‍मक ऊर्जा नहीं टिक पाती और बुरी शक्‍तियों का नाश होता है। ध्‍यान रहे, कभी भी घर में खंडित श्री यंत्र न रखें। यह दुर्भाग्‍य को लाता है।

कैसे करें श्री यंत्र की स्‍थापना

सर्वप्रथम श्री यंत्र की पंचोपचार पूजा करें जिसकी विधि इस प्रकार है -: एक पूजित यंत्र लेकर उसे लाल कपड़े पर रखें और एक हीना इत्र से भीगा रूई का फाहा यंत्र के पास रखें। कोई भी लाल रंग का पुष्‍प अर्पित करें। गूगल एवं दीपक जलाएं और खीर का भोग लगाएं। साथ ही ‘’ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊं महालक्ष्‍मये नम:’’ मंत्र का जाप करें। श्री सूक्‍त कपाट का जाप भी लाभकारी होगा। नित्य नियमपूर्वक यंत्र को धूप बत्ती दिखाकर मनोकामना निवेदित करते हुए एक माला जाप करें, लाभ होगा।

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