सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत खास है हरियाली तीज का त्‍योहार, ऐसे करें पूजन

सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस पवित्र त्‍योहार पर प्रकृति की खूबसूरत छटा देखने को मिलती है और साथ ही चारों तरफ हरियाली की चादर बिछी रहती है जिसे देख हर किसी का मन प्रफुल्लित हो उठता है, जगह-जगह झूले लगते हैं और प्रसन्‍नता से स्त्रियां नाचने-गाने लगती हैं। इस बार यह त्‍योहार 26 जुलाई को मनाया जा रहा है। महिलाओं के इस पवित्र अवसर पर मां गौरी का व्रत एवं पूजन का विधान है।

क्‍या है महत्‍व

हरियाली तीज दो तरह से खास है, पहला इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का‍ मिलन हुआ था और दूसरा इस दिन प्रकृति में अद्भुत सौंदर्य छाया रहता है।

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राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में हरियाली तीज को करवा चौथ की तरह मनाया जाता है जिसमें महिलाएं पूरा साज-श्रृंगार करती हैं और मां गौरी से अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का बहुत महत्‍व है क्‍योंकि इस दिन सृष्टि के रक्षक भोलेनाथ और देवी पार्वती का मिलन हुआ था। किवदंती है कि सावन में कई वर्षों के कठोर तप के बाद शिव जी ने मां पार्वती को अपने पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया था।

शिव जी को पाने के लिए देवी पार्वती ने 108 बार जन्‍म लिया था। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मां पार्वती के 108वें जन्‍म में शिव पार्वती की तपस्‍या से प्रसन्‍न हुए थे अत: इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।

हरियाली तीज की पूजा के लिए आवश्‍यक सामग्री :

काली गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी के पत्ते, केले के पत्ते, धतूरे का फल और पत्ते, अंकव पेड़ के पत्ते, तुलसी के पत्ते, जनैव, नाद/धागा, नए वस्‍त्र, फुलेरा और फलों से बनी छतरी।

माता पार्वती के श्रृंगार के लिए आवश्‍यक चीज़ें :

मेहंदी, चूडियां, बिछुआ, खोल, सिंदूर, कुमकुम, कंघी, महौर, सुहाग पूड़ा और सुहागिन के श्रृंगार की चीज़ें, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, तेल और घी, कपूर, दही, चीनी, शहद, दूध, पंचामृत।

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कैसे करें पूजा

सबसे पहले इस मंत्र का जाप करते हुए पूजन का संकल्‍प लें। मंत्र है –

उमामहेश्‍वरसायुज्‍य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्‍ये

मूर्ति बनाएं और पूजन की शुरुआत करें :

हरियाली तीज की पूजा शाम के समय की जाती है। जब दिन और रात मिलते हैं तो उस समय को प्रदोष कहते हैं। इस समय स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर पवित्र होकर पूजा करें।

अब भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं। परंपरा के अनुसार ये मूर्तिया स्‍वर्ण की बनी होनी चा‍हिए लेकिन आप काली मिट्टी से अपने हाथों से ये मूर्तिया बना सकती हैं

– सुहाग श्रृंगार की चीज़ों को सजाएं और माता पार्वती को इन्‍हें अर्पित करें।

– अब भगवान शिव को वस्‍त्र भेंट करें।

– आप सुहाग श्रृंगार की चीज़ें और वस्‍त्र किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं।

– इसके पश्‍चात् पूरी श्रद्धा के साथ हरियाली तीज की कथा सुने या पढ़ें

– कथा पढ़ने के बाद भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद भगवान शिव और फिर माता पार्वती की आरती करें।

– तीनों देवी-देवताओं की मूर्तियों की परिक्रमा करें और पूरे मन से प्रार्थना करें।

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– पूरी रात मन में पवित्र विचार रखें और ईश्‍वर की भक्‍ति करें। इस पूरी रात आपको जागना है।

– अगले दिन सुबह भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करें और माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करें।

– भगवान को खीरे और हल्‍वे का भोग लगाएं। खीरे से अपना व्रत खोलें।

– ये सभी रीति पूर्ण होने के बाद इन सभी चीज़ों को किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें।

ये पूजा पति की दीघार्यु और उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य की कामना की पूर्ति हेतु की जाती है। वहीं अविवाहित कन्‍याएं भी मनचाहे वर की प्राप्‍ति के लिए ये व्रत रखती हैं।

किसी भी जानकारी के लिए Call करें :  8285282851

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