ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहा गया है। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही देते हैं। माना जाता है कि जिस वाहन पर बैठकर शनिदेव किसी राशि में प्रवेश करते हैं उसी के अनुसार उसे अच्छे और बुर फल प्राप्त होते हैं।
शनि चालीसा में शनि देव के 9 वाहनों का वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं शनि देव के वाहन और उनके प्रभाव के बारे में -:- शनिदेव के सात वाहन हैं – हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध। इसके अलावा भैंसा व कौए को भी इनका वाहन माना गया है।-
यदि शनिदेव हाथी पर सवार होकर आएं तो उनके साथ देवी लक्ष्मी का आगमन होता है। जातक पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
– जब शनि देव गधे पर सवार होकर किसी राशि में प्रवेश करें तो उस जातक के बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। उसे नुकसान ही नुकसान होता है।
– शेर पर सवार होकर शनिदेव का आगमन हो तो राज-काज व समाज में मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
– सियार पर बैठकर आने पर बुद्धि नष्ट होती है और धन के साथ मान-सम्मान की हानि होती है।- जब शनि देव हिरण पर सवार होकर आते हैं तो जातक को मृत्यु के समान कष्टों का सामना करना पड़ता है।
– कुत्ते पर सवार होकर शनि देव के आने पर भय और दुख मिलता है।
– यदि शनि देव गिद्ध पर सवार होकर आएं तो अनेक रोगों का सामना करना पड़ता है।
– जब शनि देव भैंसे पर सवार होकर आएं तो व्यक्ति को धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
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