शुक्र ग्रह जीवन में सुख और आनंद का प्रतीक है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में भौतिक समृद्धि और सुखों के बारे में जानने के लिए जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। कुंडली में शुक्र सशक्त और प्रभावशाली हो तो जातक को अपने जीवन में सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। वहीं अगर कुंडली में शुक्र निर्बल या नीच स्थान में बैठा हो तो जातक को अपना जीवन सुख-सुविधाओं के बिना ही काटना पड़ता है।
इसके अलावा शुक्र ग्रह को प्रेम और सौंदर्य प्रदाता भी कहा गया है। इसे स्त्रियों का प्रतिनिधि भी माना गया है और वैवाहिक जीवन में शुक्र की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। तो आइए जानते हैं कुंडली में शुक्र की विभिन्न स्थिति और प्रभाव के बारे में -:
– यदि कुंडली में शुक्र और शनि एकसाथ हों और अन्य सभी ग्रह भी शुभ स्थान में बैठे हों तो उस व्यक्ति को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
– कुंडली में शुक्र और शनि के लग्न स्थान में हों तो जातक को स्त्री सुख, सुंदर रूप, सुख, धन, नौकर आदि प्राप्त होते हैं।
– कुंडली में शुक्र और शनि के चौथे घर में होने पर उस व्यक्ति को अपने किसी मित्र से धन की प्राप्ति होती है। वह अपने भाइयों से आदर और मान-सम्मान प्राप्त करता है।
यदि किसी की कुंडली में शुक्र और शनि सप्तम भाव में विराजमान हों तो वह व्यक्ति स्त्री सुख, धन, सम्पत्ति और सभी भौतिक सुखों को भोगता है।
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