पहला घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर यह जातक शरीर से दुबले होते हैं एवं यह अपने प्रयासों से पैसा कमाते हैं। यह ईर्ष्यालु तो होते ही हैं लेकिन साहसी और बहादुर भी होते हैं। यह बहुत जल्दी बीमार पड़ते हैं। तृतीयेश के प्रबल होने की स्थिति में जातक गायक, अभिनेता या कलाकार बनता है।
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दूसरा घर -: कुंडली (Kundali) इस घर में पराक्रमेश का होना लाभदायक नहीं होता। इनका चरित्र कुछ अच्छा नहीं माना जाता है एवं यह देह व्यापार से जुड़े होते हैं। यह जीवन में अधिकतर दुखी रहते हैं।
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तीसरा घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर जातक का पारिवारिक जीवन अत्यधिक सुखमय होता है। इन्हें हमेशा ही अपने दोस्तों का सान्निध्य मिलता है। तृतीयेश के 3, 6 और 11वें घर में होने पर जातक को अनेक भाईयों का साथ मिलता है। बुध में तृतीयेश की स्थिति के कारण जातक का कोई बड़ा भाई नहीं होता।
चौथा घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर जातक को निर्दयी एवं क्रूर जीवनसाथी का साथ मिलता है। यह धनी होते हैं एवं अपने जीवन का भरपूर आनंद उठाते हैं। नवमेश के प्रबल होने की दशा में जातक का कोई सौतेला भाई भी हो सकता है। कुंडली (Kundali) में बुध की कमजोर स्थिति हो तो जातक को अपनी जमीन का नुकसान होता है किंतु तृतीयेश के शुभ स्थिति में होने पर इसके प्रभाव विपरीत हो जाते हैं।
पांचवा घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर यह जातक समृद्ध होते हैं किंतु इनके वैवाहिक जीवन में परेशानियां घेरे रहती हैं। नवमेश की प्रबल स्थिति में जातक को अपने भाई से लाभ मिलता है। वह सरकारी नौकरी कर सकता है एवं उसे कोई अमीर परिवार गोद ले सकता है।
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छठा घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर यह जातक रिश्वत और भ्रष्ट कामों से समृद्धि पाता है। इनके परिजन भी इन्हें नापसंद करते हैं। नवमेश के छठे घर में होने की स्थिति में जातक का छोटा भाई सैनिक या डॉक्टर बन सकता है। तृतीयेश के साथ छठे घर के स्वामी के होने पर जातक पायलट या खिलाड़ी बनता है। तृतीयेश के पीडित होने पर जातक का स्वास्थ्य खराब रहता है।
सातवां घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर जातक का बचपन बेहद खराब गुजरता है एवं वह किसी अप्रिय घटना का शिकार होता है। सप्तम भाव में तृतीयेश की प्रबल स्थिति होने पर जातक अपने भाइयों के साथ शांतिपूर्वक रहता है।
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अष्टम् घर -: जातक का विवाह सफल नहीं हो पाता एवं उस पर हिंसा के आरोप भी लग सकते हैं। इनके छोटे भाई की छोटी उम्र में मृत्यु संभव है। इन्हें कोई घातक रोग हो सकता है।
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नवम् घर -: ग्रह के पीडित होने की स्थिति में जातक का अपने पिता के साथ मतभेद हो सकते हैं। जातक के भाई को जमीन में फायदा होगा जिसका लाभ इन्हें भी मिल सकता है। कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर विवाह के उपरांत जातक का भाग्योदय होगा एवं वह विदेश की यात्रा पर भी जा सकता है।
दसवां घर -: जातक की पत्नी अत्यंत क्रोधी स्वभाव की होती है। यह चतुर एवं समृद्ध होते हैं।
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ग्यारहवां घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रम भाव के होने पर यह जातक दूसरों की सेवा करते हैं किंतु प्रतिशोधी स्वभाव के होते हैं। यह दिखने में आकर्षक नहीं लगते किंतु यह अपनी मेहनत से खूब धन कमाते हैं।
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बारहवां घर -: कुंडली (Kundali) के इस घर में पराक्रमेश के होने पर यह जातक अंतर्मुखी होते हैं एवं अकेले रहना पसंद करते हैं। अपनी ही गलतियों के कारण यह अपनी समृद्धि खोकर गरीब हो सकते हैं। इनका भाई जिद्दी और पिता चरित्रहीन होते हैं।
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