किसी जन्म कुंडली में ग्रह जितने अधिक बली होते हैं, जन्म कुंडली उतनी ही अधिक प्रभाव शाली मानी जाती हैं । माना जाता हैं कि जिस जन्म कुंडली में जितने अधिक उच्च ग्रह होंगे वह उतनी ही मजबूत जन्म कुंडली होती है । इसके विपरीत नीच के ग्रह होने पर जन्म कुंडली प्रभाव हीन मानी जाती हैं, आजकल तो यह प्रथा सी बन गयी हैं कि नीच ग्रह को देखते ही सारे अशुभ फल का कारक उसे ही घोषित कर दिया जाता हैं ।
भले ही वह प्रभाव किसी भी अन्य ग्रह के द्वारा दिया गया हो । इस सबमे सबसे बडे दुर्भाग्य कि बात यह होती हैं की जिस वजह से व्यक्ति वास्तविक रूप से परेशान था, उस वजह को गौण कर दिया जाता हैं, और समस्या जैसी की तैसी बनी रहती हैं । उनके फलित में जमीन आसमान का फर्क होता हैं ।
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हमारे अलग अलग ज्योतिषिय ग्रन्थो में इस बात का वर्णन हैं की जन्म कुंडली में नीच ग्रह का बुरा प्रभाव भंग भी हो जाता हैं । कई परिस्थिति में तो यह नीच ग्रह राजयोग तक का निर्माण करते हैं । इनका फल आश्चर्य जनक रूप से प्राप्त होता हैं । जो दिखता हैं वो वैसा ही हो यह जरुरी नही हैं, अर्थात हकीकत बिल्कुल विपरीत हैं जन्म कुंडली में सभी नीच ग्रह अशुभ फल नही देते हैं । अधिकतर इनका फल उसकी स्थिति तथा अन्य ग्रहो का उस पर पडने वाले फल पर निर्भर करता हैं ।
जिन जातको की जन्म कुंडली में नीचभंग राजयोग होता हैं वो जातक चट्टानो से जल निकालने की क्षमता रखते हैं । ऐसे जातक बहुत अधिक मेहनती होते है, और अपने दम पर एक मुकाम हासिल करते हैं । ये जातक जिस क्षेत्र में भी जाते हैं वही अपनी अमिट छाप बना देते हैं । चाहे दुनिया इनके पक्ष में हो या विपक्ष में इनको सफलता मिलना तय होता हैं । कैसे बनते हैं ये योग इस पर चर्चा करे –
1- किसी नीच ग्रह से कोई उच्च का ग्रह जब दृष्टी सम्बंध या क्षेत्र सम्बंध बनाता हैं तो यह स्थिति नीच भंग राज योग बनाने वाली होती हैं ।
2- नीच का ग्रह अपनी उच्च राशि के स्वामी के प्रभाव में हो ( युति या दृष्टी सम्बंध हो) नीच भंग योग बनता हैं ।
3- परस्पर दो नीच ग्रहो का एक दूसरे को देखना भी नीच भंग योग होता हैं ।
4- नीच राशि के स्वामी ग्रह के साथ होना या उसके प्रभाव में होना नीच भंग होता हैं ।
5- चंद सूर्य से केंद्रगत होने पर भी नीच ग्रह का दोष समाप्त हो जाता हैं ।
6- जन्म कुंडली के योगकारक ग्रह तथा लग्नेश से सम्बंध होने पर नीच भंग राजयोग बनता हैं
7- नीच ग्रह नवांश कुंडली में उच्च का हो तो नीच भंग राजयोग बनता हैं ।
8- दो उच्च ग्रहो के मध्य स्थित नीच ग्रह भी उच्च समान फल दायी होता हैं ।
9- नीच का ग्रह वक्री हो तो नीच भंग राज योग बनता हैं ।
10- नीच राशि में स्थित ग्रह उच्च ग्रह के साथ स्थित हो तो नीच भंग राजयोग बनाता हैं ।
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