मंगल ग्रह रक्त तथा क्रोध का देवता होता हैं। किसी भी जन्म कुंडली में मंगल का अधिक प्रभाव जातक को क्रोध, लडाई झगडों या विवादों से युक्त रखता हैं। इसलिये मंगल को युद्ध का देवता भी कहा जाता हैं। मंगल प्रभावी व्यक्ति चाहे अपने को विवादों से जितना दूर रखने का प्रयास करें परन्तु अधिकतर दूसरों के द्वारा कुछ न कुछ ऐसी परिस्थिति तैयार हो जाती है, जिनके कारण व्यक्ति को क्रोध जनित फैसले लेने ही पडते हैं।
कैसे बनता हैं मंगल दोष…
मंगल दोष अत्यधिक प्रभाव शाली दोष हैं। मंगल ग्रह की स्थिति व दृष्टी दोनों ही मारक प्रभाव रखते हैं। मंगल दोष का सर्वाधिक प्रभाव विवाह सम्बंधों में पडता हैं। अत: जन्म कुंडली मिलान के समय मंगल दोष विचार अवश्य करना चाहिये। मंगल की जन्म कुंडली में विशेष भाव स्थिति मंगल दोष को उत्पन्न करती हैं।
जब मंगल जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवम बारहवें स्थान में स्थित हो तो व्यक्ति मंगल दोष से युक्त होता हैं। मंगल का इन स्थानों में स्थित होने का मतलब है कि विवाह स्थान पर मंगल का प्रत्यक्ष प्रभाव पडना।
मंगल दोष केलकुलेटर – जानिये आप मांगलिक हैं की नहीं
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