बृहस्पति देवताओं के गुरू हैं और राहु राक्षसों के गुरू हैं। इन दोनों का किसी भी तरह से संबंध होने पर गुरू चाण्डाल योग बनता है। राहु से गुरू के संबंध होने पर गुरू अपने देवत्व की रक्षा हेतु निरंतर प्रयासरत रहता है।
वहीं दूसरी ओर अपनी दुष्टता के लिए प्रसिद्ध राहु, गुरू को उसके मार्ग से भटकाने का षड्यंत्र रचता है। राहु जिस भी ग्रह के साथ बैठता है उसके शुभ फलों को नष्ट कर देता है। राहु एक क्रूर ग्रह है और ये अधिकतर अशुभ प्रभाव ही डालता है।
जन्मकुंडली के आधार पर चाण्डाल योग का पता लगाया जा सकता है। राहु के प्रभाव में जातक अनिष्ट कार्यों में लिप्त रहता है।
चाएडाल योग से प्रभावित व्यक्ति
जिस जातक की कुंडली में चाण्डाल योग होता है उसे राहु अनैतिक कार्यों की ओर प्रेरित करता है। राहु के प्रभाव में जातक बुरे कृत्यों के प्रति आकर्षित रहता है। समाज में वह चरित्रहीन कहलाता है और चोरी-डकैती जैसे कामों से वह पैसा कमाता है। राहु एक क्रूर ग्रह है जिसके प्रभाव में जातक दुष्टतापूर्ण कार्यों में लिप्त रहता है।
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चाण्डाल योग के प्रभाव
इस योग के बनने पर जातक अपने गुरू का अनादर करता है और उनसे ईर्ष्या भाव रखता है। कुंडली (Janam Kundali) में राहु के मजबूत होने पर जातक अपने गुरू के कार्य को ही अपनाता है किंतु वह गुरू के सिद्धांतों को नहीं मानता। वहीं दूसरी ओर राहु के कमजोर होने की स्थिति में जातक अपने गुरू को सम्मान देता है। राहु के आगे गुरू का प्रभाव काफी कमजोर पड़ जाता है। गुरू, राहु के दुष्प्रभाव को रोक पाने मे असफल रहता है।
चाण्डाल योग का शुभ फल
जब गुरू और राहु एक-दूसरे से सप्तम स्थान में हो एंव गुरू के साथ केतु बैठा हो तो गुरू के शुभ फल को प्राप्त कराने में केतु अहम भूमिका अदा करता है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक के कार्यों में बाधा आती है जिससे उसका मन निराश रहता है।
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कुंडली में चाण्डाल योग (Chandal Yog) के बनने पर नौकरी व व्यवसाय में बाधा, मानसिक तनाव व अशांति, रात को नींद न आना, परीक्षाओं में असफलता प्राप्त होना, कार्य में मन न लगना, बेबुनियाद ख्यालो में उलझे रहना, अचानक धन का अधिक खर्च होना या धन रूक-रूक कर प्राप्त होना, बिना सोचे समझे कार्य करना जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
चाण्डाल योग के उपाय
– राहु ग्रह का जप-दान करने से लाभ होगा।
– गाय को भोजन कराएं एवं नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करें।
– कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय बड़ों की राय अवश्य लें।
– अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें एवं प्रसन्न रहें।
– बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें और अपने माता-पिता का आदर करें।
– अपने गुरु की निस्वार्थ भाव से सेवा करें।
– नियमित रूप से स्वयं हल्दी और केसर का टीका लगाने से लाभ होगा।
– गरीब बच्चों की पढ़ाई में मदद करें।
– भगवान गणेश और देवी सरस्वती की आराधना करें और मंत्र का जाप करें।
– बरगद के वृक्ष में कच्चा दूध डालें और केले के वृक्ष का भी पूजन करें।
आपकी कुंडली में चाण्डाल योग बन रहा है या नहीं, ये जानने के लिए यहां पर क्लिक करें। इसके अलावा आप ये भी जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में कौन-सा शुभ और अशुभ योग बन रहा है और उसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव होगा।
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