जानिये कैसे आपके जीवन को हिलाकर रख सकता है कुंडली में बैठा गुरु

देवगुरु बृहस्पति

देवगुरु बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे पूजनीय स्थान मिला हुआ है। गुरु का प्रभाव अत्यधिक शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु के लिये कहा जाता है कि केंद्र में स्थित गुरु लाख दोष को दूर करने वाला होता है, यह युक्ति सर्वत्र प्रसिद्ध है ‘किं कुर्वन्ति सर्वग्रह यस्य केंद्रे बृहस्पति’, अर्थात जिसके केंद्र स्थान में बृहस्पति स्थित हैं उसका अन्य सभी ग्रह कुछ भी नही कर सकते।

गुरु का प्रभाव व्यक्ति को भौतिक सुख दे ना दे लेकिन आत्मिक सुख अवश्य देता है। ये झूठा सुख नहींं देता वरण सच्चा व स्थाई सुख देता है। ये धन नही ज्ञान देता है। लेकिन गुरु का कुण्डली में अशुभ होना अनेक परेशानियों को आमंत्रण भी देता है।

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गुरु बली हो

– जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु बली हो तथा लग्न पर शुभ दृष्टी प्रभाव रखता हो तो ऐसे जातक निर्मल हृदय के होते हैं। ऐसे जातकों के परिवार एवं मित्रगण इन पर हमेशा गर्व करते हैं।

– जन्म कुंडली के त्रिकोण भाव में स्थित गुरु का शुभ प्रभाव व्यक्ति को मान-सम्मान देता है। ऐसे व्यक्ति जहां जाये बड़ा आदर प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग हमेशा सत्य व न्याय का पक्ष लेने वाले होते हैं।

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सत्य

– बृहस्पति यदि जन्म कुंडली के दूसरे भाव में स्थित हो तो जातक सत्य बोलता हैं। ऐसे लोगों की वाणी गम्भीर व ज्ञान से भरी होती है। प्रभावशालि वाणी होने के कारण ऐसे लोग, वकील, गुरु अथवा राजनेता के रूप में अत्यधिक सफल होते हैं।

– गुरु का तृतीय स्थान में प्रभाव व्यक्ति के द्वारा शुभ कर्म करवाता है। ऐसे लोगों का लेखन व हस्ताक्षर बडा ही सुन्दर होता है। किसी प्रकार के रचनात्मक कार्यों से जुडे होते हैं। किसी चैरिटी व संस्था से जुडकर भी ऐसे जातक अपने जीवन में आगे बढते हैं।

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धन व सम्पन्नता का ग्रह

– गुरु का चतुर्थ, षष्ठ, अष्टम तथा द्वादश प्रभाव अधिक शुभ नही होता। ऐसे जातक अपने घर से दूर रहते हैं।

– गुरु धन व सम्पन्नता का ग्रह है। गुरु यदि पीडित अवस्थागत हो तो जातक को धनहीन व दरिद्र बनाता है। गुरु का अशुभ प्रभाव होने पर चाहे जातक जितना भी कमा ले धन एकत्रित नहींं कर पाता।

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चेहरे पर तेज

– गुरु के प्रभाव की झलक जातक के चेहरे व शरीर से दिख जाती है। व्यक्ति के चेहरे पर तेज व चमक होती है। व्यक्ति हृष्ट-पुष्ट होता है।

जन्म कुंडली में गुरु का अनिष्ट प्रभाव अनेक रोग देता है। इनमे मुख्यत: लम्बी अवधि के रोग होते हैं अथवा ऐसे रोग होते हैं जिनके कारण बार-बार डॉक्टरों को बदलना पड़ता है। मोटापा, शुगर, चर्बी के रोग, पीलीया, कंठ व फेफडों की सूजन पेट का वायु से फूलना आदि रोग होते हैं।

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उपाय 

अगर आपकी कुंडली में गुरु अनिष्‍ट स्‍थान में बैठा है और इसकी वजह से आपको अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है तो आप अपनी कुंडली के अशांत गुरु को शांत करने के लिए अपने घर में गुरु यंत्र की स्‍थापना करें।

इसके साथ ही आप अपने गले में गुरु यंत्र लॉकेट भी पहनें। इस अभिमंत्रित गुरु यंत्र और लॉकेट को हमेशा अपने पास रखने से आपके साथ कुछ भ्‍ी अनिष्‍ट नहीं होगा।

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