ज्योतिषशास्त्र के आधार पर हमारे जीवन में घटित प्रत्येक शुभ और अशुभ घटना सौरमंडल के नवग्रहों पर आधारित होती हैं। ज्योतिष में राहु(Rahu) को पाप ग्रह की संज्ञा दी गई है एवं इसे अन्य ग्रहों की भांति किसी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में राहु छाया ग्रह के रूप में हैं जो पृथ्वी के दो अक्षों के रूप में उपस्थित हैं। राहु पाप ग्रह होने के साथ-साथ तामसिक ग्रह भी है जो अपने प्रभाव में जातक को तामसिक अथवा अनैतिक कृत्यों के लिए प्रेरित करता है। राहु का नाम सुनते ही लोगों के मन में अनिष्टता का भय आ जाता है लेकिन यह पूरी तरह से उचित नहीं है क्योंकि राहु कभी-कभी कुछ विशेष स्थिति बनने पर शुभ फल भी देता है।
शुभ फलकारक
कुंडली में स्थित राहु का फल: सामान्यतः शनि, शुक्र व बुध के लग्नेश होने पर मित्रता के कारण राहु शुभ फलकारक व सूर्य, चंद्र, मंगल व चंद्रमा के लग्नेश होने के कारण शत्रु भाव से समस्या कारक होता है, परंतु राहु की भाव स्थिति का इसमें विशेष महत्व है। जन्मकुंडली में तृतीय, षष्ठ व एकादश भाव में राहु उत्तम फलदायक होता है तथा लग्न, पंचम, नवम, दशम में भी अच्छा ही है, द्वितीय व सप्तम में मध्यम परंतु चतुर्थ, अष्टम व द्वादश भाव में स्थित राहु अनिष्टकारक होता है। परंतु सटीक फलादेश के लिये यह देखना आवश्यक है कि राहु मित्र ग्रह की राशि में है या शत्रु की राशि में।
हिंदू Panchang 2019 पढ़ें और जानें वर्ष भर के शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, विवाह मुहूर्त, ग्रह प्रवेश मुहूर्त और भी बहुत कुछ।
राहु के शुभ प्रभाव
– जिस व्यक्ति की कुंडली राहु बलशाली होता है वह कठोर स्वभाव वाला एवं प्रखर बुद्धि का व्यक्ति होता है।
– कुंडली में राहु के शुभ स्थान में बैठे होने पर जातक अपने धर्म का पालन करता है।
– राहु के सकारात्मक प्रभाव में इंसान में अद्भुत चमत्कारी शक्ति होती है एवं वह अध्यात्म की नई राह खोज लेता है।
– राहु के शुभ स्थान में होने पर व्यक्ति धार्मिक, आस्तिक एवं यश व सम्मान के साथ-साथ धनवान बनता है।
राहु के अशुभ प्रभाव
– राहु के अशुभ प्रभाव में जातक झूठ, धोखा, छल और कपट जैसी बुरी आदतों का शिकार हो जाता है।
हिंदू पंचांग 2019 पढ़ें और जानें वर्ष भर के शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, विवाह मुहूर्त, ग्रह प्रवेश मुहूर्त और भी बहुत कुछ।
– राहु के नकारात्मक प्रभाव में जातक चरित्रहीन बनता है एवं वह मास-मदिरा का सेवन करता है।
– राहु के दुष्प्रभाव में इंसान दूसरों को परेशान करने के लिए षड्यंत्र रचता है।
– राहु के कुप्रभाव में आकर जातक अधर्मी हो जाता है और अपने धर्म का पालन नहीं करता।
फलादेश भाव
राहु पूर्णत: अशुभ फल नहीं देता। अत: कुंडली में इसका फलादेश भाव पर निर्भर करता है। यदि कुंडली में राहु शुभ स्थान में बैठा है तो उसे इसका सकारात्मक फल मिलेगा किंतु यदि राहु अशुभ एवं शत्रु स्थान में विराजमान है तो जातक को अनेक कष्ट सहने पड़ते हैं।
राहु को शांत करने के उपाय
राहु को शांत करने के लिए अनेक ज्योतिषीय उपाय बताए गए हैं जिनमें सबसे अधिक चमत्कारिक है राहु शांति ताबीज़। इसके अलावा आप राुह यंत्र और राहु यंत्र ताबीज़ से भी राहु के दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं। राहु यंत्र ऑर्डर करने के लिए यहां क्लिक करें
किसी भी जानकारी के लिए Call करें : 8285282851
ज्योतिष से संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : Astrologer on Facebook