यदि किसी की कुंडली में गजकेसरी योग बनता है तो उस जातक को गज यानि हाथी के समान शक्ति और धन-वैभव की प्राप्ति होती है। किंतु ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी को इस योग का शुभ फल प्राप्त हो। किसी को गजकेसरी योग का अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है तो किसी के लिए ये सामान्य फलदायी साबित होता है। गजकेसरी योग का शुभ और अशुभ फल कुंडली के भावों, राशि, नक्षत्र और गुरु की स्थिति पर निर्भर करता है। कुंडली में गुरु और चंद्र के बलवान होने पर गजकेसरी योग का निर्माण होता है। इसके साथ ही यदि कुंडली में केमद्रुम योग भी बन रहा हो तो ऐसी स्थिति में गजकेसरी योग निष्फल हो जाता है।
– गजकेसरी योग में जातक कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला और उच्च पद को प्राप्त करता है। वह वाद-विवाद और भाषण कला में निपुण होता है।
– गज को गणेश का प्रतीक माना जाता है एवं गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। कुंडली में गजकेसरी योग बनने पर जातक अपनी बुद्धि से धन, मान-सम्मान और नाम कमाता है।
– कुंडली में गजकेसरी योग बनने पर व्यक्ति अपनी महत्वकांक्षाओं को पूर्ण करने में सफल होता है।
– गजकेसरी योग में व्यक्ति अपनी सूझबूझ, दूरदर्शी सोच, अदम्य साहस के बल पर अच्छे-अच्छों को निरूत्तर कर देता है। समय के साथ चलकर सफलता के झंडे गाड़ता है।
– कुंडली(Janam Kundali Online)के जिस भाव में गुरु व चन्द्र एकसाथ बैठकर गजकेसरी योग का निर्माण करते हैं, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है।
– जब कुंडली में गजकेसरी योग चुतर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में कोई बड़ी सफलता हासिल करता है।
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