जब हनुमान ने तोडा कृष्ण की शक्तियों का अहंकार…

भगवान कृष्ण की 8 पत्नियों में सत्यभामा सर्वाधिक सुंदर थी, इस सुंदरता के कारण रानी सत्यभामा में अहंकार की भावना जागृत होने लगी। एक दिन सत्यभामा ने कृष्ण भगवान से पूछा भगवन आपने कई अवतार धारण किये है राम अवतार के समय में सीता आपकी पत्नि थी क्या वें मुझसे ज्यादा सुन्दर थी? भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की मूल भावना को समझ लिया।

गरुड और सुदर्शन का अहंकार…

इससे पूर्व सुदर्शन चक्र और गरुड ने भी अपनी सामार्थ्य पर अहंकार करते हुये कृष्ण भगवान से अनेक प्रश्न किये थे। सुदर्शन चक्र ने भगवान  से प्रश्न किया था की भगवन मेंने अनेक युद्धों में भयंकर राक्षसों का नाश किया है, क्या आपके पास मुझसे शक्तिशाली भक्त हैं? इसी तरह गरुड ने भी प्रश्न किया था कि भगवन क्या मेरी तरह कोई भक्त तत्पर और तेज है?

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भगवान कृष्ण ने ली परीक्षा..

अब जब सत्यभामा के प्रश्न करने पर श्री कृष्ण भगवान ने तीनों का अहंकार भंग करना उचित समझा। भगवान कृष्ण ने गरूड जी को बुलाया और कहा हे गरुड तुम साकेत जाकर हनुमान जी से मिलों और उनसे कहना की राम और सीता ने आपको द्वारिका में बुलाया है? भगवान का आदेश सुनकर गरुड जी हनुमान जी को बुलाने के लिये निकल गये। गरुड के जाते ही कृष्ण भगवान ने सुदर्शन चक्र को बुलाकर आदेश दिया की आप महल के बाहर खडे होकर पहरा दो तथा किसी को भी महल में घुसने न देना।

संदेश वाहक गरुड और हनुमान…

गरुड जी हनुमान जी के पास पहुंचे और उन्हें कहा की आपको भगवान राम और सीता जी ने बुलाया है। मेरे साथ चलिये आप को शीघ्र पहुंचा दूंगा। हनुमान ने गरुड से कहा आप चलिये बंधु में आता हूं। गरुड जी सोचने लगे मेंने अपना कार्य कर लिया अब ये वृद्ध वानर कभी पहुंचे या न पहुंचे, ये सोचकर वे वापिस द्वारिका की ओर तेजी से लौट चलें।

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गरुड का अहंकार हुआ भंग..

लेकिन जैसे ही वे महल में पहुंचे वहां हनुमान जी को पहले ही पहुंचा हुआ पाया इतने में भगवान कृष्ण  गरुड से बोले की आपको आने में इतना विलम्ब कैसे हो गया? गरुड के पास इस बात का कोई जवाब नही था। तब भगवान ने हनुमान जी से पूछा की आप ने जब महल में प्रवेश किया तो आपकों किसी ने नही रोका?

बिना लडें रोका सुदर्शन को…

भगवान के   पूछने पर हनुमान जी ने पहले अपना मुंह खोला और सुदर्शन को बाहर निकाला उसके बाद हाथ जोडकर बोले भगवान इन्होने मेरा मार्ग रोकने का प्रयास किया और मुझे युद्ध के लिये ललकारा तब मेंने समय से बचने हेतु इन्हे अपने मुहं में रख लिया। इतना सुनते ही गरुड और सुदर्शन को अपने प्रश्न व अहंकार का ज्ञान हुआ।

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सत्यभामा दासी समान…

कुछ देर हनुमान जी ने इधर-उधर देखा और प्रश्न किया भगवन माता सीता कहां है? और माता सीता के स्थान पर आपने किस दासी को अपने साथ बैठा रखा हैं? अब तो सत्यभामा समझ चुकी थी ये उसके प्रश्नों का जवाब है जिसे भगवान जी ने हनुमान जी के द्वारा कहलावाया।

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