हरितालिका तीज पर ऐसे मिलेगा मनचाहा पति, जानें पूजन का शुभ समय

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। इस पावन त्‍योहार पर प्रकृति की खूबसूरत छटा देखने को मिलती है। इस बार हरियाली तीज का त्‍योहार 24 अगस्‍त को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।

चारों तरफ हरियाली की चादर बिछी रहती है जिसे देख मन प्रफुल्लित हो उठता है, जगह-जगह झूले लगते हैं और प्रसन्‍नता से स्त्रियां नाचने-गाने लगती हैं। महिलाओं के इस पवित्र अवसर मां गौरी का व्रत एवं पूजन किया जाता है।

हरियाली तीज दो तरह से खास है, पहला इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का‍ मिलन हुआ था और दूसरा इस दिन प्रकृति में अद्भुत सौंदर्य छाया रहता है। सावन के इस महीने में महिलाएं झूला डालती हैं और गीत गाती हैं। प्रकृति के सौंदर्य से पुलकित मन झूमने-नाचने लगता है। हरियाली तीज का त्‍योहार मुख्‍यत: राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में यह त्‍योहार करवा चौथ की तरह मनाया जाता है जिसमें महिलाएं पूरा साज-श्रृंगार करती हैं और मां गौरी से अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

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हरितालिका तीज पूजन का समय

प्रथाकाल हरितालिका तीज मुहूर्त : 5.58 से 8.32 तक

समयावधि : 2 घंटे 33 मिनट

प्रदोषकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त : 18.47 से 20.27

समयावधि : 1 घंटे 39 मिनट

तृतीया तिथि की शुरुआत : 23 अगस्‍त की रात को 21 बजकर 2 मिनट पर

तृतीया तिथि की समापित : 24 अगस्‍त को 20.27 पर

राशिनुसार अभिमंत्रित रुद्राक्ष धारण करें 

पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में हरियाली तीज बड़ी खास है क्‍योंकि इस दिन सृष्टि के रक्षक भोलेनाथ और देवी पार्वती का मिलन हुआा था। किवदंती है कि सावन में कई वर्षों के कठोर तप के बाद शिव जी ने मां पार्वती को अपने पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया था। शिव जी को पाने के लिए देवी पार्वती ने 108 बार जन्‍म लिया था। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मां पार्वती के 108वें जन्‍म में शिव पार्वती की तपस्‍या से प्रसन्‍न हुए थे अत: इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।

पूजन विधि

इस दिन विवाहित महिलाएं किसी बगीचे या मंदिर में एकत्रित होकर मां की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहनों से सजाती हैं। अर्धगोले का आकार बनाकर माता की मूर्ति की पूजा करते हैं। हरियाली तीज की कथा सुनने का भी बड़ा महत्‍व है। कथा सुनते समय मन में पति का ध्यान करें और पति की लंबी उम्र की कामना करें। कुंवारी कन्‍याएं भी मनचाहा प‍ति पाने के लिए ये व्रत रख सकती हैं।

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