होलिका दहन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसके अगले दिन रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है।
होलिका दहन 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:
वर्ष 2025 में होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार को होगा। पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात 11:26 बजे से 12:29 बजे तक है。
होलिका दहन की पूजा विधि:
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सामग्री एकत्रित करें:
- लकड़ी, उपले (गोबर के कंडे)
- कच्चा सूत (मौली)
- रोली, चावल
- फूल माला
- गुड़, बताशे
- नारियल
- गेहूं की बालियां या नई फसल के अंश
- पानी से भरा लोटा
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होलिका स्थापना:
- सामूहिक स्थान पर लकड़ियों और उपलों से होलिका का निर्माण करें।
- होलिका के पास एक लकड़ी या डंडा स्थापित करें, जो होलिका का प्रतीक होता है।
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पूजन विधि:
- शुभ मुहूर्त में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- होलिका को रोली और चावल का तिलक करें।
- कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटें।
- फूल माला अर्पित करें।
- गुड़, बताशे, नारियल और गेहूं की बालियां होलिका को समर्पित करें।
- पानी से भरे लोटे से होलिका का अभिषेक करें।
- होलिका की तीन या सात परिक्रमा करें और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें।
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होलिका दहन:
- पूजा के पश्चात् होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें।
- अग्नि में गेहूं की बालियां सेंककर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
महत्वपूर्ण सावधानियां:
- होलिका दहन भद्रा काल में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
- होलिका दहन के समय पर्यावरण का ध्यान रखें और प्रदूषण फैलाने वाली सामग्री का उपयोग न करें।
इन विधियों का पालन करते हुए होलिका दहन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।