यदि किसी स्त्री को मातृ सुख न मिले तो यह उसके जीवन का सबसे बड़ा दुख बन जाता है। कहते हैं कि अपनी संतान को जन्म देना एक स्त्री के लिए सबसे बड़ा सौभाग्य होता है लेकिन जब यही सौभाग्य किसी स्त्री को न मिले तो उसका पूरा जीवन ही दुभाग्यपूर्ण हो जाता है।
आजकल खानपान और खराब जीवनशैली के कारण स्त्रियों को मातृ सुख पाने में कठिनाईयां आती हैं किेंतु इसके अलावा और भी कई कारण हैं जो एक स्त्री को मां बनने से रोकते हैं। शारीरिक कारणों के अलावा जन्म कुंडली के कुछ दोषों या ग्रहों की परिस्थिति के कारण भी कोई स्त्री मातृसुख से वंचित हो सकती है।
मातृ सुख हर स्त्री का सौभाग्य होता है। कहते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद ही एक स्त्री का जीवन पूर्ण हो पाता है लेकिन कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जो इस सुख से वंचित रह जाती हैं। इसके अलावा कुछ स्त्रियों को अपनी संतान से प्रेम और आदर नहीं मिल पाता।
मातृ सुख से वंचित
ज्योतिष शास्त्र में मातृ सुख की प्राप्ति न होने का कारण बताया गया है। इसके अनुसार कुंडली में निम्न योग बनने के कारण ही एक स्त्री संतान सुख से वंचित रह जाती है। आइए जानते हैं ग्रहों की उन स्थितियों के बारे में जो स्त्रियों को संतान सुख से वंचित रखती हैं।
संतान सुख में कमी
चंद्रमा के चौथे घर का स्वामी होकर शनि, मंगल और राहू जैसे क्रूर ग्रहों के साथ युति कर रहा हो या गुरु पांचवे अथवा नौंवें घर में अकेला विराजमान हो तो संतान सुख में कमी आती है। ऐसी स्त्री को मां बनने या गर्भधारण करने में दिक्कतें आती हैं। कई प्रयासों के बाद भी उसे संतान सुख नहीं मिल पाता है।
मातृत्व सुख में कमी
अगर कुंडली में पांचवें घर में कर्क राशि है और इसी राशि से बारहवें घर में चंद्रमा हो तो मातृत्व सुख में कमी आती है। ऐसी स्थिति में मां की सेहत भी खराब हो सकती है। ऐसी स्थिति में स्त्री मां तो बन जाती है किंतु उसे संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है।
चंद्रमा की स्थिति
यदि चंद्रमा ग्रह अपनी राशि से आठवें घर में विराजमान हो तो मां को संतान सुख नहीं मिल पाता। चंद्रमा की ऐसी दशा किसी भी स्त्री के लिए दुभाग्यपूर्ण होती है। आठवें घर में चंद्रमा के होने के कारण किसी स्त्री को मां बनने का सुख नहीं मिल पाता है।
मातृ सुख पाने का उपाय
यदि कुंडली में मातृ दोष बन रहा है तो इस दोष की शांति के लिए गोदान करें। गाय का दूध चांदी के बरतन में भरकर दान करने से अवश्य ही लाभ होता है।
मातृ सुख पाने के लिए चांदी के बर्तन में दूध भरकर दान करें। इसके अलावा एक लाख बार गायत्री मंत्र का जाप करवाकर हवन करवाएं। दशमांश तर्पण करवाएं और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
अगर किसी स्त्री की कुंडली में मातृ दोष है और इसके कारण वह मां नहीं बन पा रही है तो उसे पीपल के पेड़ की 28 हज़ार बार परिक्रमा करनी चाहिए। इस उपाय से अवश्य लाभ होता है।
अगर आप या आपके किसी जानकार को संतान सुख प्राप्त करने में दिक्कत आ रही है तो आप इसके निवारण हेतु हमारे ज्योतिषाचार्यों से बात कर सकते हैं। हमसे संपर्क करने के लिए इस नंबर पर कॉल करें : 8882 540 540