1. गुरु गोचर
बृहस्पति इस सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह होने के साथ-साथ देवताओं के गुरु भी हैं। इसका एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन एक बड़ी ज्योतिषीय घटना है। इस वर्ष 11 अगस्त 2016 को गुरु का प्रवेश कन्या राशि में हो रहा है। अपने व्यवहार के अनुसार अब गुरु इस राशि में 13 माह तक रहेगा। जो जातक गुरु की दशा से गुज़र रहे हैं उनके लिए यह समय अच्छा रहेगा।
कन्या राशि में इसका गोचर कई नकारात्मक संकेत भी देता है। कन्या राशि का स्वामी बुध है और यह गुरु का शत्रु ग्रह है। कन्या स्वयं में एक द्वि-स्वभाव राशि है, इस कारण कन्या राशि के जातक भ्रम की स्थिति में रहेंगे और फैसले लेने में अक्षम होंगे। गुरु का यह गोचर सामाजिक अव्यवस्था भी ला सकता है। 1969 में जब गुजरात में दंगे हुए, 1992 में बाबरी विध्वंस के समय में गुरु इसी राशि में गोचर कर रहा था। कन्या राशि के वो जातक जिनकी जन्म कुंडली में गुरु की दशा या अन्तर होगा उनके वैवाहिक जीवन के लिए यह समय सही नहीं है।