वैदिक ज्योतिष के अनुसार कालसर्प एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म में किए गए किसी गंभीर पापों या अपराध के कारण दंड या शाप के रूप में जातक की जन्मकुंडली में बनता है। जन्मकुंडली में जब सारे ग्रह राहू और केतु के बीच अव्यवस्थित रहते है तब कालसर्प दोष का निर्माण होता है।
कालसर्प योग का विचार करने से पहले राहू केतू का विचार करना आवश्यक है | राहू सर्प का मुख माना गया है, तो केतू को सर्प की पूंछ माना गया है, इन दो ग्रहों कें कारण ही कुंडली में कालसर्प योग बनता है|
कालसर्प योग के प्रकार
कालसर्प योग 12 प्रकार के होते है।
1 – अनन्त कालसर्प योग– जब जन्मकुंडली में राहु लग्न में व केतु सप्तम में हो और उस बीच सारे ग्रह हों तो अनन्त नामक कालसर्प दोष बनता है।
2 – कुलिक कालसर्प योग – राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम स्थान में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुलिक कालसर्प दोष बनता है।
3 – वासुकी कालसर्प योग – राहु तीसरे घर में और केतु नवम स्थान में और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित हों तो वासुकी कालसर्प दोष बनता है।
4 – शंखपाल कालसर्प योग – राहु चौथे स्थान में और केतु दशम स्थान में हो इसके बीच सारे ग्रह हो तो शंखपाल नामक कालसर्प दोष बनता है।
5 – पद्म कालसर्प योग – राहु पंचम व केतु एकादश भाव में तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग बनता है।
6 – महापद्म कालसर्प योग – राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो महापद्म कालसर्प दोष बनता है।
7 – तक्षक कालसर्प योग – केतु लग्न में और राहु सप्तम स्थान में हो तो तक्षक नामक कालसर्प दोष बनता है।
8 – कर्कोटक कालसर्प योग – केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित हों तो कर्कोटक कालसर्प दोष बनता है।
9 – शंखचूड़ कालसर्प योग – केतु तीसरे स्थान में व राहु नवम स्थान में और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित हों तो शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष बनता है।
10 – घातक कालसर्प योग – केतु चतुर्थ तथा राहु दशम स्थान में हो और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित हों तो तो घातक कालसर्प बनाता हैं।
11 – विषधार कालसर्प योग – केतु पंचम और राहु ग्यारहवे भाव में हो तो विषधर कालसर्प बनाता हैं।
12 – शेषनाग कालसर्प योग – केतु छठे और राहु बारहवे भाव में हो तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो शेषनाग कालसर्प दोष बनता है।
कालसर्प दोष के प्रभाव
संतान सुख में कमी – अगर कुंडली में कालसर्प योग बनता है तो इसके अशुभ प्रभाव के कारण जातक को संतान की प्राप्ति में अनेक प्रकार की अडचने आती है या कई बार जातक नि:संतान हो जाता है या फिर संतान होकर भी जीवित नहीं रहती इसलिए इस दोष के निवारण हेतु कालसर्प दोष की पूजा करनी चाहिए तभी जातक को संतान सुख मिलता है।
धन का अभाव – यह योग जातक को दरिद्रता में जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर कर देता है, जातक हमेशा कर्ज में डूबा रहता है। पैसे की कमी निरंतर बनी रहती है, जब तक जातक कालसर्प दोष निवारण पूजा नहीं करता तब तक उसको धन से सम्बंधित समस्याओ से निजात नहीं मिलती इसलिए देर न करते हुए यह पूजा अवश्य करवानी चाहिए।
नौकरी/ व्यवसाय में दिक्कते – जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष बनता है उसको निरंतर कामकाज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कालसर्प योग आपके व्यवसाय में भी बाधा डालता है। चाहे कितनी भी कोशिश करे या परिश्रम करे परिणाम हमेशा खराब ही मिलते है, कामकाज-नौकरी को लेकर जातक मानसिक तनाव में रहता है, अगर कहीं नौकरी मिल भी जाती है तो किसी न किसी बात को लेकर नौकरी में दिक्कते बनी रहती है, जब तक इस दोष की पूजा नहीं की जाती तब तक आपको नौकरी-कामकाज में सफलता नहीं मिलती, इसलिए समय न गंवाते हुए कालसर्प योग की पूजा अवश्य करवानी चाहिए।
शादी /विवाह में बाधा – कुंडली में अगर कालसर्प योग है तो जातक के विवाह में अनेक प्रकार की दिक्कते आती है। कई बार तो विवाह के योग ही नहीं बनते और अगर बनते भी है तो पति-पत्नी के संबंधो में खटास आती है, अलगावं की स्थिति उत्पन्न होती है, संभव हो सके तो जल्दी ही इस योग की पूजा करवानी चाहिए तभी विवाह के योग अपने आप बनने लग जायेंगे, वैवाहिक सुख की प्राप्ति होगी।
स्वास्थ्य में कमी – इस योग का अशुभ प्रभाव जातक के स्वास्थ्य पर पड़ता है। जातक कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक पीड़ा का सामना करता है। मन में डर बना रहता है, उपचार करने के बावजूद भी स्वास्थ्य से सम्बंधित दिक्कते बनी रहती है, स्वभाव में चिडचिडा पण देखने को मिलता है, इसलिए स्वास्थ्य में सुधार के लिए कालसर्प निवारण पूजा अवश्य करवानी चाहिए।
डर के साये में जीवन – काल सर्प दोष से प्रभावित जातक अपना जीवन डर के साये में व्यतीत करता है उसको बार-बार सपने में सांप और पानी दिखाई देता है और साथ ही साथ स्वयं को हवा में उड़ता हुआ देखता है, नींद भी नहीं आती और अचानक मन में डर उत्पन्न होता है, साथ ही जातक के विचारों में बार-बार बदलाव आते हैं और कोई भी काम करने से पहले मन में नकारात्मक विचार आते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता एवं जातक नशा करने लगता है कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा अवश्य करवानी चाहिए तभी इस दोष से छुटकारा मिल सकता है।
कालसर्प दोष शांति पूजा – कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है और यह भगवान शिव की आराधना द्वारा संभव है। भगवान शिव सर्पों को अपने गले में धारण करते हैं, इसलिए शिव जी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और संपूर्ण पाप नष्ट होते हैं।
पूजा का महत्व – यह पूजा करवाने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं। इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है। नशे की लत से छुटकारा मिलता है, भय दूर होता है।
- पूजन का समय – पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।
- यजमान द्वारा वांछित जानकारी – नाम एवं गोत्र, पिता का नाम, जन्म तारीख, स्थान ||
कैसे प्राप्त करें यह सौभाग्य
आप AstroVidhi Customer Care Number 8285282851 पर संपर्क करके कालसर्प दोष निवारण पूजा अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए करवाने का समय ले सकते हैं। जिस किसी की सुख-समृद्धि के लिए आप ये पूजा करवाना चाहते हैं उसका नाम, जन्म स्थान, गोत्र और पिता का नाम अवश्य ज्ञात होना चाहिए।
Kaal sarp Yog kaise pata chalega
Sheshnag sarp dosh vidhi kese karana chhahie