क्‍या मंदिर जाकर मूर्ति दर्शन करने से सच में होता है कोई फायदा

हिंदू धर्म को मानने वाला हर व्‍यक्‍ति ईश्‍वर में आस्‍था और श्रद्धा रखता है और इसी विश्‍वास के चलते अपने ईष्‍ट देव के दर्शन के लिए मंदिर जाता है। मंदिर को भगवान का निवास स्‍थान कहा जाता है।

कोई मन की शांति के लिए मंदिर जाता है तो कोई धन पाने की इच्‍छा से, कोई अपनी समस्‍याओं के निवारण के लिए मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाता है तो कोई स्‍वयं ईश्‍वर के गुणों को स्‍वयं में उतारना चाहता है।

कहा जाता है कि ऐसे लोग तो विरले ही मिलते हैं जिन्‍हें ईश्‍वर के जैसा बनने का पुण्‍य अवसर प्राप्‍त हो। क्‍या आप जानते हैं कि मंदिर जाने से क्‍या मिलता है या कुछ मिलता भी है या नहीं ?

क्‍या मंदिर जाकर मूर्ति दर्शन करने से सच में होता है कोई फायदा

चलिए जानते हैं कि मंदिर में जाकर ईश्‍वर के दर्शन करने से क्‍या मिलता है और ये किस तरह का सुख प्रदान करता है।

मंदिर में दैवीय दर्शन

अगर आप रोज़ मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो आपको बता दें कि इर्श्‍वर के दर्शन करना तब पूर्ण माना जाता है जब आप ईश्‍वरीय चेतना का दर्शन जीवन में उतार लें। उनके जीवन के आदर्शों को अनुसरण करें।

अगर आपके ईष्‍ट देव श्री राम हैं तो अपने जीवन में मर्यादा को अपनाएं, कृष्‍ण हैं तो धर्मस्‍थापना को जीवन में उतारें, शिव हैं तो झलके उदारता, गायत्री इष्‍ट तो सद्बुद्धि सत्‍कर्म झलके, हनुमान जी इष्‍ट तो सेवा भाव को अपने जीवन में उतार लें।

मंदिर जाने से क्‍या मिलता है लाभ

जब दर्शन करने मंदिर में जाते हैं तो उस दर्शन से अपने जीवन दर्शन को पुन: आलोकित करते हैं। जिन मंदिरों और धार्मिक स्‍थलों पर जप, यज्ञ और अनुष्‍ठान होते हैं वहां पर प्रेम और सहकार का वातावरण रहता है।

ऐसे सिद्ध मंदिरों के गर्भ गृह में प्राण ऊर्जा और दैवीय चेतना का इतना तीव्र प्रभाव रहता है कि दर्शन करने आने वाला व्‍यक्‍ति 5 मिनट भी शुद्ध अन्‍त:करण से वहां जप कर ले तो उसकी चेतना में दिव्‍य प्राण प्रवाह उतरने लगता है। इसलिए मंदिर दर्शन हेतु सप्‍ताह में एक बार जरूर जाना चाहिए।

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सप्‍ताह में एक बार जरूर जाएं मंदिर

अगर आप रोज़ मंदिर नहीं जा सकते तो सप्‍ताह में कम से कम एक दिन तो मंदिर जरूर जाएं। आप चाहें तो रविवार या अवकाश वाले दिन अपने घर के किसी नज़दीकी मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन कर सकते हैं।

किसी धार्मिक स्‍थल पर जाकर यज्ञ में भाग लेकर और मंत्र जाप द्वार इस दिव्‍य प्राण प्रवाह को अपनी चेतना में धारण कर इसकी अनुभूति में खो जाइए। अपने बच्‍चों को भी मंदिर लेकर जाएं और यज्ञ आदि जैसे धार्मिक अनुष्‍ठानों में हिस्‍सा लें। दूसरों को भी मंदिर जाने के लिए प्रेरित करें और पुण्‍य कमाएं।

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मंदिर जाकर पूजा करने के हैं कुछ नियम

ईष्‍ट देव के पूजन को बहुत शुभ और मंगलकारी माना गया है। अगर आप मंदिर जा रहे हैं तो अपने वस्‍त्रों के रंग का खास ख्‍याल रखें। मंदिर जाते समय आपको शुभ रंग के वस्‍त्र धारण करने चाहिए।

पूजन में नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इन दो रंगों को शुभ कार्यों के लिए अमंगलकारी माना जाता है। पूजा में रंगों का बहुत महत्‍व माना जाता है। अगर आप रंगों का ध्‍यान नहीं रखेंगें तो हो सकता है आपके ईष्‍ट देवता आपसे रुष्‍ट हो जाएं।

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ईश्‍वर की पूजा एवं उपासना में पीले रंग या केसरिया रंग के कपड़े पहनना ज्‍यादा शुभ माना जाता है। ज्‍योतिष के अनुसार पीले रंग को देवताओं के गुरु बृहस्‍पति देव से संबंधित माना जाता है। गुरु ग्रह अध्‍यात्‍म और धर्म का कारक ग्रह हैं। मान्‍यता है कि पूजा में पीले रंग के कपड़े पहनने से मन स्थित रहता है और मन में सकारात्‍मक विचार आते हैं।

अब जब कभी भी आप मंदिर में दर्शन करने जाएं तो इन बातों का ध्‍यान रखें। मंदिर जाकर आप स्‍वयं ही अपने अंदर सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार महसूस करेंगें।

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