सौरमंडल के सभी नौ ग्रहों में बुध सबसे छोटा ग्रह है। बुध ग्रह बुद्धि, वाकपटुता, सेहत और समृद्धि का कारक है। इसके शुभ प्रभाव से जातक बुद्धिमान बनता है और अपनी वाकपटुता के गुण से सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। तो आइए जानते हैं कि कुंडली में बुध ग्रह के अलग-अलग भाव में विराजमान होने पर इसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है -:
– जब कुंडली के केंद्र भाव में बुध स्वराशि मिथुन या कन्या राशि में हो तो यह भद्रयोग का निर्माण करता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति धनवान बनता है।
– कुंडली में सातवें घर में मीन राशि के साथ बुध ग्रह की उपस्थिति उस जातक के विवाह में देरी का कारण बनती है क्योंकि मीन राशि में बुध नीच का रहता है।
– यदि सातवें घर में बुध अकेला ग्रह हो या अन्य कोई शुभ योग न बन रहा हो तो ऐसी स्थिति में जातक नपुंसक बनता है।
– दूसरे भाव में बुध के साथ शुक्र ग्रह विराजमान हो तो जातक ज्योतिषी बन सकता है। उसकी बुद्धि तेज होती है।
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