‘भूतेश्वर महादेव’
भोलेनाथ के भक्त शिवलिंग की सच्चे मन से पूजा करते हैं। लिंग के स्वरूप में धरती पर सिर्फ भगवान शिव का रूप ही अवतरित हुआ है।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के जंगलों में स्थित एक अदभुत प्राकृतिक शिवलिंग हैं जिसे ‘भूतेश्वर महादेव’ के नाम से जाना जाता हैं। दुनिया के सबसे बडे शिवलिंग के रूप में प्रसिद्ध यह शिवलिंग अपने चमत्कारों से भक्तों के कष्ट हर लेता हैं।
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इस शिवलिंग को ‘भकुर्रा महादेव’ भी कहा जाता है। इस शिवलिंग के आकार में प्रति वर्ष वृद्धि देखने को मिलती हैं, शिवलिंग के आकार का विवरण 1952 में प्रकाशित कल्याण तीर्थांक में मिलता हैं, जिसमे इसकी ऊंचाई 35 फीट बताई गई हैं, 1978 में 40 फीट इस शिवलिंग की ऊंचाई नापी गई थी।
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इसके अतिरिक्त 87 में 55 फीट और 94 में फिर से नाप करने पर 62 फीट हो गई थी। वर्तमान में इसकी ऊंचाई 80 फीट से अधिक बताई जा रही है। इस शिवलिंग के बढते आकार और चमत्कार के कारण इन्हे जागृत महादेव के नाम से भी जाना जाता हैं। मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि यहां आया जातक खाली हाथ नहीं लौटता। कोई गम्भीर रोग हो अथवा भूत-प्रेत दोष भूतेश्वर महादेव के दर्शन करते ही ठीक हो जाता हैं।
चमत्कारों से भरा है शिव का ये धाम
यह मंदिर सिंहावा पर्वत श्रृंखला में बसा है। सिंहावा पर्वत श्रेणी को महानदी के उदगम के रूप में जाना जाता हैं। इस पर्वत श्रेणी में श्रृंगी, अंगिरा, लोमश, अप्रिय, कपिल, वाल्मिकी और मतंग जैसे अनेक ऋषियों के आश्रम थे। एक दंत कथा के अनुसार ऋषियों की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव पार्वती के साथ इस शिवलिंग के रूप में यहां प्रकट हुये थे।
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