एकमुखी रुद्राक्ष बहुत ही शक्तिशाली और दुर्लभ होता हैं। एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी सूर्य ग्रह होता है। एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव स्वरुप ही है। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर हो अथवा अस्त हो तो एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करना लाभदायक होता है। कई बार सूर्य कुंडली में शुभ होने के बावजूद भी व्यक्ति को शुभ फल नहीं मिल पातें, ऐसे समय में वैदिक ज्योतिष के अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करनेवाले व्यक्ति के अंदर उर्जा, शक्ति और नेतृत्व क्षमता का निर्माण होता है। विशेष रूप से जन्म कुंडली में सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए यह रुद्राक्ष पहना जाता हैं। गोलाकार और अर्ध चन्द्र जैसा दिखने वाला एकमुखी रुद्राक्ष बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस रुद्राक्ष को सबसे अधिक कल्याणकारी और महत्वपूर्ण माना गया है। एकमुखी रुद्राक्ष शक्ति, ऊर्जा, सत्य और मोक्ष का प्रबल स्रोत माना जाता है। यह रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ है तथा इस रुद्राक्ष में साक्षात शिव भगवान निवास करते है।
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एकमुखी रुद्राक्ष और भगवान शिव का संबंध
एकमुखी रुद्राक्ष का आकार ओंकार होता हैं, इसमें साक्षात भगवान शिव का वास होता हैं। एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव से जुड़ा हुआ पाता है। मान्यता हैं कि एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की शक्तियां प्राप्त होती हैं। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव की आँखों से गिरा प्रथम आंसू ही एकमुखी रुद्राक्ष है। रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रिय तथा शिव भक्तों का आराध्य दिव्य वृक्ष हैं। इस रुद्राक्ष को दिव्य और अलौकिक माना जाता हैं। इसे धारण करने से शिव का आशीर्वाद सदा मिलता रहता हैं, मनुष्य को काल का भी भय नहीं रहता। एकमुखी रुद्राक्ष की माला को सभी मालाओं में श्रेष्ठ माना जाता हैं। शिव की असीम कृपा इस रुद्राक्ष में होने के कारण व्यक्ति का काल भी कुछ बिगाड़ नहीं पाता और यह रुद्राक्ष अनेक प्रकार के रोगों से व्यक्ति का बचाव करता हैं।
एकमुखी रुद्राक्ष के लाभ
- एकमुखी रुद्राक्ष की पूजा जिस घर में होती हैं, वहां लक्ष्मी का वास हमेशा रहता हैं, उस घर में कभी भी धन-संपत्ति तथा सुख की कमी देखने को नहीं मिलती।
- इसके धारण करने से जातक चिंतामुक्त और साहसी, निडर हो जाता है। शत्रु भय से मुक्त हो जाता है।
- एकमुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से धारणकर्ता को कामकाज में बढ़िया धन लाभ होता है तथा मान-सम्मान के साथ साथ उसकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है।
- एकमुखी रुद्राक्ष धारण कर्ता को पापों और पिछले कर्मों को नष्ट करने में सहायता करता हैं।
- गुस्से को नियंत्रित कर नेतृत्व गुणों के साथ और तनाव को दूर करने में यह रुद्राक्ष मददगार होता हैं।
- इस रुद्राक्ष के प्रभाव से श्वसन रोग और रतौंधी जैसे विकार ठीक होने में मदद मिलती हैं।
- इसे धारण करने के बाद व्यक्ति का भाग्योदय होता है। समाज में प्रसिद्धि मिलती है। मानसिक शांति मिलती हैं।
- अगर किसी जातक की कुंडली में किसी क्रूर ग्रह की दशा या अन्तर्दशा चल रही है तो भी एकमुखी रुद्राक्ष को पहनना उचित होता है।
- एकमुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन के अन्धकार को दूर कर उसमे प्रकाश भरता है।
- एकमुखी रुद्राक्ष में भगवान् शिव की शक्तियाँ समाहित है, जिसका लाभ मनुष्य को मिलता है, इसलिए बिना संकोच किये इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए।
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एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
- रविवार, सोमवार अथवा शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष को धारण करना शुभ होता है।
- रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें।
- प्रातःकाल में सूर्य को ताम्बे के लोटे से जल चढ़ाएँ।
एकमुखी रुद्राक्ष मंत्र
एकमुखी रुद्राक्ष को पवित्र और जागृत करने के लिए “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का उच्चारण 108 बार करें।