रुद्राक्ष अनेक प्रकार से लाभदायक है। इसका प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किया जा सकता है। शिव का यह रूप साक्षात् उनके मुखों के आधार पर प्राप्त होता है। रुद्राक्ष की धारियों को ही मुख कहा जाता है।
इस पर जितनी धारियां होंगी उतना ही मुखी रुद्राक्ष कहलायेगा। इसके अनेक प्रकार हैं। लिंग पुराण आदि में 14 मुखी का वर्णन है। स्कन्द पुराण व शिव पुराण में 21 मुखी का भी वर्णन मिलता है। इन सब में एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ होता है।
भगवान शिव का स्वरूप होने के कारण इसे अत्यंत पवित्र और मंगलकारी माना गया है। जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण करता है उसे जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
एक मुखी से लेकर 21 मुखी
आज हम आपको शिव के स्वरूप एक मुखी से लेकर 21 मुखी रुद्राक्ष तक के बारे में बताएंगें एवं इन्हें धारण करने से आपको क्या लाभ होगा, ये भी जानिए –
एक मुखी
एक मुखी को साक्षात शिव का रूप माना जाता है। इस एक मुखी रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा भगवान आदित्य का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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दो मुखी
यह शिव और शक्ति का स्वरुप माना जाता है। इसमें अर्धनारीश्वर का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा की शीतलता प्राप्त होती है। चंद्रमा के दोष को दूर करने के लिए भी दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी होता है।
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तीन मुखी
इसको अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप माना गया है। तीन मुखी को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों का शमन होता है। धन की कामना करने वाले लोगों को इसे धारण करना चाहिए।
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चार मुखी
चार मुखी ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे धारण करने से नर हत्या जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष को प्रदान करता है। इसे धारण करने से हर परेशानी सुलझ जाती है।
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पांच मुखी
यह कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है। यह पंच ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है। पंचमुखी को धारण करने से अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है तथा सुखों को प्राप्ति होती है।
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छह मुखी
छह मुखी को साक्षात् कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है। यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा एवं संतान देने वाला होता है। जिन लोगों की संतान नहीं है उन्हें छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
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सात मुखी
सात मुखी या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है। इसको धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इसको धारण करना चाहिए। इसे धारण करने वाले व्यक्ति पर सदा मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
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आठ मुखी
आठ मुखी को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है। अष्टमुखी रुद्राक्ष राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का क्षय करके मोक्ष देता है। अगर आपकी कुंडली में राहु पीडित है तो उसे शांत करने के लिए आपको गणेश जी का ये स्वरूप सदा अपने पास रखना चाहिए।
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नौ मुखी
नौ मुखी को भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भहत्या जैसे पाप से मुक्ति मिलती है। नौमुखी को यम का रूप भी कहते हैं। यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है।
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दस मुखी
दस मुखी को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है। यह शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं। अगर आपको बहुत ज्यादा डर लगता है तो आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त ये उपाय जरूर करना चाहिए।
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ग्यारह मुखी
ये तो साक्षात् भगवान शिव का रूप माना जाता है। इसको हनुमान जी का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है। जो बच्चे पढ़ाई में कमज़ोर हैं उन्हें एकादश मुखी धारण करने से अवश्य लाभ होगा साथ ही इसके प्रभाव से आत्मविश्वास में भी बढ़ोत्तरी होती है।
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द्वादश मुख
द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता है। इसको धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। पुण्य की प्राप्ति के शिव के इस स्वरूप को आशीर्वाद समझकर धारण किया जा सकता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।
बारह मुखी
शिव के इस स्वरूप को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। भौतिक सुखों की प्राप्ति की कामना करने वाले लोगों को इंद्र देव को प्रसन्न करना चाहिए एवं इंद्र देव इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं।
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चौदह मुखी
चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है। इसे सिर पर धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को भूत-पिशाच और प्रेतात्माओं के भय से मुक्ति मिल जाती है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति निडरता से अपना जीवन जी सकता है।
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पंद्रह मुखी
पंद्रह मुखी को पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है। धन से लेकर प्रेम तक, सभी प्रकार की समस्याओं से ये उपाय छुटकारा दिलाता है। किसी भी रत्न को धारण करने से बेहतर है कि आप पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पहनें।
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सोलह मुखी
इसमें भगवान विष्णु तथा शिव का वास होता है। यह रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है। अगर आप शिव भक्त हैं और भगवान विष्णु की कृपा भी पाना चाहते हैं तो आपको सोलह मुखी अवश्य धारण करना चाहिए।
सत्रह मुखी
इसे राम-सीता का स्वरूप माना गया है। यह विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है। इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है।
अठारह मुखी
अठारह मुखी को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। मन में बैठा बेवजह का डर भी इससे दूर होता है।
उन्नीस मुखी
इसे नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है। यह सुख एवं समृद्धि दायक होता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। आर्थिक समृद्धि के लिए भी इसे धारण किया जा सकता है। इसे नारायण भगवान के साथ-साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
बीस मुखी
बीस मुखी को जनार्दन स्वरूप माना गया है। इस बीस मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं सताता। इसे भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को इन तीनों की ही कृपा प्राप्त होती है।
इक्कीस मुखी
ये रुद्राक्ष सबसे खास और महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह धन के देवता कुबेर महाराज का प्रतीक है। इसके अलावा इसे रुद्र स्वरूप भी कहा जाता है तथा इसमें सभी देवताओं का वास है। इसे धारण करने से एवं इसकी घर में स्थापना करने से घर-परिवार में सुख-शांति और सद्भाव का वातावरण उत्पन्न होता है। पारिवारिक क्लेश दूर करने के लिए यह उत्तम उपाय है।
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