रावण की शक्ति और वीरता से सभी भंली भांती परिचित हैं रावण की शक्ति के आगे देवता लोग भी भयभीत होते थे। रावण ने काल व नव ग्रहों को बंदी बनाकर रखा हुआ था। इस शक्तिशाली रावण के वध करने हेतु साक्षात भगवान विष्णु को अवतार लेना पडा था। लेकिन रावण के जीवन में कुछ ऐसा समय भी आया था जब उसे बुरी तरह से युद्ध स्थल से भागना पडा था। ये चार युद्ध रावण के जीवन में किसी कांटे के रूप में चुभते रहें-
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बालकों के हाथों पराजय..
एक बार अहंकार से युक्त रावण ने पाताल लोक जीतने के लिये अकेले ही प्रस्थान किया, वह अपनी शक्ति के मद में यह भूल गया था, की राजा बलि के पाताल लोक में किसी की भी मायावी शक्ति सफल नही होती। राजा बलि के महल के बाहर खेल-रहे बालकों ने जब रावण को देखा तो वे बहुत आश्चर्य चकित हुये उन्होने दस मुहं वाले को कभी नही देखा था उन बालकों ने रावण को घेरकर बांध लिया और गेंद की भांती इधर से उधर फेकनें लगे, रावण की शक्ति बालकों के सामने काम नहीं आई। जब बच्चे खेल कर थक गये तो उन्होने रावण को घोडों के अस्तबल में बांध दिया था। जब राजा बलि को इस बात की खबर हुई तब उन्होने रावण को बंधन से मुक्त करवाया।
सहस्त्रबाहु अर्जुन और रावण युद्ध…
एक बार रावण अपनी पूरी सेना के साथ सहस्त्रबाहु अर्जुन से युद्ध करने पहुंचा, तब सहस्त्रबाहु ने अपने हजार हाथों से नर्मदा का जल रोककर रावण की सेना पर छोड दिया जिसके कारण रावण और उसकी पूरी सेना ही नर्मदा के जल में प्रवाहित हो गये।
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राजा बाली और रावण युद्ध…
लंकेश अपनी शक्तियों के अहंकार के बल बाली से युद्ध करने निकल गया। रावण ने बाली के महल के बाहर पहुंचकर उसे खूब ललकारा। बाली उस समय संध्या पूजन में व्यस्त थे। रावण द्वारा कई बार ललकारे जाने पर वे बाहर आये और रावण को संध्या करने तक अपने बायें बाजू में दबाकर रखा। बाद में रावण के क्षमा याचना करने पर बाली ने उसे छोड दिया।
महादेव से युद्ध करने की चेष्टा…
यद्धपि रावण शिव का भक्त था, परंतु एक बार वह महादेव को जीतने के लिये कैलास की ओर निकल पडा। कैलास पर्वत के पास पहुंचने पर रावण ने सोचा की महादेव को कैलास समेत ही उठाकर अपनी लंका में ले जाता हूं ऐसे सोचने पर उसने कैलास को उठाने की चेष्टा करते हुये जैसे कैलास को थोडा उठाया उसी समय महादेव ने कैलास पर अपने त्रिशूल का प्रहार किया जिससे की रावण का हाथ वहीं दब गया जब रावण के काफी क्षमा याचना मांगने पर महादेव ने उसे जाने दिया।
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