भारतीय धर्म में शंख का प्रयोग अति प्राचीन समय से ही होता आ रहा हैं । पूजा-पाठ या शुभ कार्यो में शंख बजाने का प्रचलन हैं । देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियमित रूप से बजाते हैं ।
हिंदु धर्म में मान्यता हैं कि शंख को घर में रखने, उसका पूजन करने तथा बजाने से अनेक प्रकार के कष्ट स्वत: नष्ट हो जाते हैं । शंख को विजय का , सुख का, समृद्धि का , यश का, कीर्ति का , तथा लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।
सनातन का अर्थ है जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो। जिन बातों का शाश्वत महत्व हो वही सनातन कही गई है। वह सत्य जो अनादि काल से चला आ रहा है और जिसका कभी भी अंत नहीं होगा वह ही सनातन या शाश्वत है । सनातन धर्म की कई ऐसी बातें हैं, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से,बल्कि कई दूसरे तरह से भी फायदेमंद हैं।
शंख की उत्पति
समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में एक रत्न शंख है। माता लक्ष्मी के समान शंख भी सागर से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे माता लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है। पौराणिक ग्रन्थ कहते है कि सृष्टि से आत्मा, आत्मा से प्रकाश, प्रकाश से आकाश, आकाश से वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल और जल से पृथ्वी की उत्पति हुयी है। इन सभी तत्वों से मिलकर शंख का निर्माण हुआ है। ब्रहमवैवर्तपुराण के अनुसार शंख सूर्य और चन्द्रमा के समान देवस्वरूप है। इसके अग्र भाग में गंगा सरस्वती, पृष्ठ भाग में वरूण और मध्य में स्वयं ब्रहमा जी विराजमान है। शंख समुद्र में पाए जाने वाले एक प्रकार के घोंघे का खोल है जिसे वह अपनी सुरक्षा के लिए बनाता है। शंख अनेक रसायनिक क्रियाओ के द्वारा बनता हैं । शंख में गंधक, फास्फोरस और कैल्शियम जैसे उपयोगी पदार्थ मौजूद होते हैं ।
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शंख के लाभ
शंख के अनेक लाभ हैं । शंख की स्थापना, शंख की ध्वनि, शंख का जल, शंख का भस्म, शंख का चूर्ण अनेक प्रकार के कष्टो के नाश हेतु प्रयोग किया जाता हैं । शंख के चमत्कारी व उल्लेखनिय लाभ इस प्रकार हैं-
– जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है । यह एक महारत्न हैं, शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है । धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि शंख की तरह लक्ष्मी भी सागर से ही उत्पन्न हुई है ।
– पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है । जहां तक इसकी आवाज जाती है वहाँ तक रोग शान्ति होती हैं । तथा इसे सुनकर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं । ध्वनि विज्ञान ने भी इस बात का अनुमोदन किया हैं कि शंख की ध्वनि के प्रकम्प से अनेक प्रकार के कीटाणु एवम विकिरण समाप्त हो जाते हैं ।
– आयुर्वेद में जिक्र मिलता है कि नियमित तौर पर शंख बजाने से दमा (श्वास) रोग खत्म हो जाता हैं ।
– वास्तुशास्त्र के अनुसार शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिनसे घर के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं । पॉजिटिव एनर्जी आती है । शंख की आवाज से ‘सोई हुई भूमि’ जाग्रत होकर शुभ फल देती है।
– ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिडकने से वातावरण शुद्ध होता है ।
– शंख की आवाज लोगों को पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करती है । ऐसी मान्यता है कि शंख की पूजा से कामनाएं पूरी होती हैं । इससे दुष्ट आत्माएं पास नहीं फटकती हैं ।
– आयुर्वेद के मुताबिक, शंखोदक के भस्म के उपयोग से पेट की बीमारियां, पथरी, पीलिया आदि कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं । हालांकि इसका उपयोग एक्सपर्ट वैद्य की सलाह से ही किया जाना चाहिए ।
– शंख बजाने से वाणी दोष समाप्त हो जाता हैं जैसे हकलाना, रुक रुक कर बोलना या गूंगापन ।
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– शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं । यह दांतों के लिए भी लाभदायक है । शंख में कैल्शिवयम, फास्फोरस व गंधक के गुण होने की वजह से यह फायदेमंद है ।
– शुद्ध शिलाजीत को गर्म दूध में अच्छी तरह मिलाकर इस मिश्रण को रोज रात को सोने के पूर्व शंख के जरिये पीने से स्मरण शक्ति व शारीरिक क्षमता में वृद्धि होगी।
– शंख का प्रयोग मधुमेह रोग के उपचार हेतु प्रयोग मे लाया जाता हैं ।
– जादू – टोटके या भूत प्रेत जनित दोषो को शंख हमेशा दूर रखता है । इसीलिये कहा जाता हैं – ‘‘शंख बाजे बलाय भागे’’
– नियमित शंख बजाने से हृदय, छाती व फेफडे बलिष्ट होते हैं । रक्त संचार उत्तम होता हैं एवम रक्त चाप आदि दोष समाप्त होते हैं ।
– जिन्हे भूख नही लगती उनको नित्य शंख बजाना चाहिये । शंख बजाने से पाचन क्रिया ठीक हो जाती हैं । शंख जल से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते है तथा आयु बढ़ती है।
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