आकस्मिक मृत्यु कारण व उपचार

मृत्यु शब्द अपने आप में एक बेहद डरावना शब्द हैं। मन में मृत्यु का विचार आते ही हम भयभीत हो जाते हैं। मृत्यु एक ऐसा कडवा व भयानक सच हैं जिससे सभी को होकर गुजरना पडता हैं। प्राचीन काल में मनुष्य की आयु काफी लम्बी होती थी, लेकिन आज के युग में मनुष्य की औसत उम्र 80 साल तक ही सिमट कर रह चुकी हैं। दुर्भाग्य से सभी व्यक्ति इस उम्र को नही छू पाते,  कुछ कारणो से कई व्यक्तियों की असमायिक मृत्यु भी हो जाती हैं। असमायिक मृत्यु के कई कारण होते हैं, जैसे दुर्घटना, बिमारी, आत्महत्या आदि। ज्योतिष शास्त्र के कुछ नियम हैं जिनके अधार पर असमायिक मृत्यु के बारे में पता चल सकता हैं।

1- अष्टम स्थान आयु स्थान कहलाता हैं, इस स्थान पर यदि कोई पापी ग्रह बैठा हो तथा सप्तम स्थान व द्वितिय स्थान का मालिक पूर्ण दृष्टी से लग्न को देखे तो किसी दुर्घटना के कारण मृत्यु होती हैं।

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2- वायु तत्व राशि का लग्न हो अर्थात मिथुन,तुला या कुम्भ लग्न हो तथा मंगल, केतु व सूर्य का पूर्ण प्रभाव लग्न या अ‍ष्टम स्थान पर हो और इन्ही ग्रहों में से किसी की दशा आने पर व्यक्ति को अग्नि के द्वारा मृत्यु भय होता हैं।
3- शनि ग्रह को आयु का नैसर्गिक कारक माना जाता हैं, तथा चंद्र को प्राण की संज्ञा प्राप्त हैं। अत: जिस जन्म कुंडली में ये दोनो ही ग्रह पीडीत हो तो यह असमायिक मृत्यु का एक संकेत हैं।
4- लग्न या अष्टम स्थान पर दो से अधिक पापी ग्रहों का संयुक्त प्रभाव दुर्घटना के द्वारा मृत्यु का सूचक हैं।
5- तृतियेश व लग्नेश दोनो पापी ग्रह हो तथा अष्टम स्थान या तृतिय स्थान पर चंद्र के साथ स्थित हो तो व्यक्ति आत्महत्या करता हैं।
6- अष्टम स्थान का स्वामी पीडीत हो तथा लग्न में 6ठें व 11वें स्थान का मालिक लग्न में होने पर व्यक्ति को किसी रोग के द्वारा मृत्यु प्राप्त होती हैं।
7- अष्टम स्थान पर शनि मंगल का प्रभाव होने पर व्यक्ति को कोई नुकीली व लोहे की वस्तु से मृत्यु प्राप्त होती हैं।

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उपाय –
1- महादेव का पूजन करने से व्यक्ति को मृत्यु का भय नही रहता हैं। मारकेश व अ‍ष्टमेष की दशा हो तो महामृत्युंजय मंत्र जाप करवाना श्रेष्ट होता हैं।
2- चंद्र के लिये सफेद वस्तु का दान व चंद्र के बीज मंत्रो का जाप दीर्घायु प्रदान करता हैं।
3- जन्म कुंडली के अ‍ष्टमेष का पूजन व दान, दुर्घटना आदि से बचाव करता हैं।
4- देवी की अराधना व दुर्गा कवच का नित्य पाठ आयु में वृद्धि करता हैं।
5- जिस घर में रोजाना घी का दीपक प्रजवलित होता हैं, वहां मृत्यु भय नही होता।

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