अगर कुंडली में बुध नीच स्‍थान पर बैठा है तो रखें बुधवार का व्रत और पढ़ें ये बुधवार व्रत कथा

  पारूल रोहतगी

वैदिक ज्योतिषाचार्य

सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट स्थित ग्रह है बुध ग्रह। यह व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है। यह जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है। जिन लोगों की कुंडली में बुध नीच स्‍थान में बैठा है उन्‍हें बुध ग्रह के कुप्रभाव से बचने के लिए बुधवार का व्रत अवश्‍य रखना चाहिए। इस व्रत का प्रारंभ शुक्ल पक्ष के प्रथम बुद्धवार से करें। पूरे 21 व्रत रखने का विधान है। बुधवार के दिन व्रत रखने से बुध ग्रह की शांति और सर्व-सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार का व्रत संपन्‍न करने के लिए विधि-विधान पूर्वक बुध देवता की पूजा करें एवं बुधवार व्रत कथा का पाठ करें।

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व्रत विधि -:

बुधवार के दिन प्रात: स्नान आदि से निवृत्‍त होकर हरे रंग का वस्त्र धारण करें और देवस्थान में जाकर गणेशजी के दर्शन करे। इस दिन गाय को हरी घास का अनुदान करने से विशेष लाभ प्राप्‍त होता है। पूरा दिन “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:” बीज मंत्र का यथाशक्ति जाप करें। अंतिम बुधवार को हवन क्रिया के पश्चात् किसी गरीब एवं जरूरतमंद व्‍यक्‍ति को दान-दक्षिणा अवश्‍य दें।

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बुधवार की व्रत कथा इस प्रकार है -:

एक समय की बात है एक साहूकार अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए अपने ससुराल गया। कुछ दिन वहां रहने के उपरांत उसने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिए कहा किंतु सास-ससुर तथा अन्य संबंधियों ने कहा कि “बेटा आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते।” लेकिन वह नहीं माना और हठ करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा करवाकर अपने नगर को चल पड़ा। राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी, उसने पति से पीने के लिए पानी मांगा। साहूकार लोटा लेकर गाड़ी से उतरकर जल लेने चला गया। जब वह जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था।

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पत्नी भी अपने पति को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। साहूकार ने पास बैठे शख्स से पूछा कि तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो? उसकी बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, यह मेरी पत्नी है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो? दोनों आपस में झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आए और उन्होंने साहूकार को पकड़ लिया और स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? उसकी पत्नी चुप रही क्योंकि दोनों को देखकर वह खुद हैरान थी कि वह किसे अपना पति कहे? साहूकार ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला “हे भगवान, यह क्या लीला है?”

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तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे शुभ कार्य के लिए गमन नहीं करना चाहिए था। तूने हठ में किसी की बात नहीं मानी। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।

साहूकार ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा याचना की। तब मनुष्य के रूप में आए बुध देवता अंतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को घर ले आया। इसके पश्चात् पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार व्रत करने लगे। जो व्यक्ति इस कथा को कहता या सुनता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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