कब है शीतला अष्टमी, यहां जानें शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

शीतला अष्टमी, जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो देवी शीतला को समर्पित है। यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो होली के आठवें दिन पड़ती है। इस वर्ष, 2025 में, शीतला अष्टमी 22 मार्च, शनिवार को मनाई जाएगी।

 विधि:

  1. सप्तमी तिथि (21 मार्च) को भोजन तैयार करें: शीतला अष्टमी के दिन ताजा भोजन बनाने की मनाही होती है। इसलिए, सप्तमी तिथि को ही भोजन तैयार करें, जिसे अष्टमी के दिन देवी को भोग लगाया जाएगा। इस भोजन में गुड़-चावल या गन्ने के रस और चावल से बनी खीर शामिल होती है।

  2. अष्टमी तिथि (22 मार्च) को प्रातः काल स्नान करें: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  3. शीतला माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें: घर के पूजा स्थल में शीतला माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  4. पूजन सामग्री एकत्रित करें: रोली, अक्षत (चावल), चंदन, धूप, दीपक, पुष्प, और सप्तमी को तैयार किया गया बासी भोजन।

  5. पूजा प्रारंभ करें:

    • दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
    • माता को रोली, अक्षत, और चंदन अर्पित करें।
    • पुष्प चढ़ाएं और माता का ध्यान करें।
    • सप्तमी को तैयार किया गया बासी भोजन माता को भोग लगाएं।
  6. शीतला माता की कथा का पाठ करें: पूजा के दौरान शीतला माता की कथा का पाठ करें या सुनें, जिससे पूजा का महत्व और अधिक बढ़ता है।

  7. आरती करें: पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद को परिवारजनों में बांटें।

विशेष ध्यान दें:

  • अष्टमी के दिन घर में नया भोजन नहीं बनता; केवल सप्तमी को तैयार किया गया बासी भोजन ही ग्रहण किया जाता है।

  • माता शीतला की पूजा करने से त्वचा संबंधी रोगों से बचाव होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

शीतला अष्टमी का पालन करने से देवी शीतला की कृपा प्राप्त होती है, जिससे परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और घर में समृद्धि आती है।

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