जब कुंडली में राहु अथवा केतु में से किसी एक के साथ अथवा दृष्टि से मंगल ग्रह का संबंध बन जाए तो उस कुंडली में अंगारक योग का निर्माण होता है।
कुंडली में अंगारक योग के अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब इस योग का निर्माण करने वाले मंगल, राहु या केतु दोनों ही अशुभ स्थान में हों। इसके अलावा यदि कुंडली में मंगल तथा राहु-केतु में से कोई भी शुभ स्थान में है तो जातक के जीवन पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। लाल किताब में अंगारक योग को पागल हाथी या बिगड़ा शेर का नाम दिया गया है।
अंगारक योग, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह अग्नि का कारक है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक क्रोध और निर्णय न कर पाने के असमंजस में फंसा रहता है। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं।
अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों तरह का फल देने वाला होता है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक अपने परिश्रम से नाम और पैसा कमाता है। इस योग के प्रभाव में व्यक्ति के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
अंगारक योग के कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में जातक के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य संबंधियों से अनबन रहती है। अंगारक योग होने से धन की कमी रहती है। इसके प्रभाव में जातक की दुर्घटना की संभावना होती है। वह रोगों से ग्रस्त रहता है एवं उसके शत्रु उन पर काले जादू का प्रयोग करते हैं। व्यापार और वैवाहिक जीवन पर भी अंगारक योग का बुरा प्रभाव पड़ता है।