1 पहला घर -: यह जातक न्यायधीश एवं मंत्री बन सकते हैं। पंचमेश के पीडित होने की स्थिति में जातक को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनका दिमाग किसी शैतान से कम नहीं होता। यह धोखेबाज होते हैं एवं बुरे कर्मों में लिप्त रहते हैं।
2 दूसरा घर -: पंचमेश के शुभ होने पर जातक को एक अच्छे जीवनसाथी और शिष्ट संतान की प्राप्ति होती है। वह सरकार से मौद्रिक लाभ पाता है। इनके ज्योतिषी बनने की संभावना है। लेकिन पंचमेश के पीडित होने की स्थिति में परिस्थिति इससे बिलकुल विपरीत हो सकती है।
3 तीसरा घर -: जातक को कई सारे भाई और संतान का सुख मिलता है। किंतु तृतीय भाव का स्वामी और पंचमेश के पीडित होने पर परिस्थिति इससे बिलकुल विपरीत हो सकती है।
4 चौथा घर -: जातक के जीवन में अत्यधिक समस्याएं नहीं आती हैं। इनकी माता की दीर्घायु होती है। यह शिक्षक एवं किसी मंत्री अथवा प्रभावी शख्सियत के सलाहकार बन सकते हैं। चतुर्थ भाव के प्रबल होने की दशा में जातक को पुत्री की प्राप्ति होती है किंतु चतुर्थ भाव के पीडित होने की दशा में इनकी संतान की जल्दी मृत्यु संभव है।
5 पांचवा घर -: ग्रह के पीडित होने की स्थिति में जातक का जीवन काफी छोटा होता है। यह बेईमान, अस्थिर और निर्दयी होते हैं। लेकिन ग्रह के शुभ संकेत की स्थिति में जातक को अनेक पुत्रों की प्राप्ति होती है। यह किसी धार्मिक संस्थान के प्रमुख हो सकते हैं एवं यह मंत्र-शास्त्र और गणित में निपुण होते हैं।
6 छठा घर -: ग्रह की शुभ स्थिति होने पर जातक के चाचा या मामा कोई प्रभावी व्यक्ति होता है किंतु उनके अपने पुत्र से अच्छे संबंध नहीं बन पाते। ग्रह की अशुभ स्थिति में जातक अपने चाचा-मामा के परिवार से किसी को गोद ले सकता है।
7 सातवां घर -: यह जातक धनी, प्रभावी और निपुण होते हैं। यह ओजस्वी व्यक्तित्व के होते हैं एवं इनका पुत्र विदेश में निवास करता है। किंतु सप्तमेश के पीडित होने की स्थिति में जातक का निसंतान होना संभव है।
8 अष्टम् घर -: कर्ज के कारण जातक अपनी संपत्ति खो सकता है। उसके पारिवारिक जीवन में कई समस्याएं बनी रहेंगीं। वह फेफड़े से जुड़े किसी रोग से ग्रस्त रह सकता है। यह जीवन में दुखी और उदास रहते हैं।
9 नवम् घर -: यह सामाजिक कार्य और दूसरों को आश्रय देने का कार्य करते हैं एवं पेशे से यह शिक्षक होते हैं। इनका पुत्र वक्ता एवं लेखक बनता है। किंतु पंचमेश की अशुभ स्थिति होने पर जातक को जीवन में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
10 दसवां घर -: पंचमेश की शुभ स्थिति में राज योग बनता है और जातक को जमीन-जायदाद से फायदा मिलता है एवं शक्तिशाली लोगों से मैत्रीपूर्ण संबंध बनते हैं। इनका कोई पुत्र ज्वेलर बनता है।
11 ग्यारहवां घर -: यह जातक धनी, निपुण और सहायक होते हैं। यह लेखक बनते हैं। इन्हें अपने पुत्रों से लाभ मिल सकता है।
12 बारहवां घर -: यह संत बनकर धार्मिक जीवन व्यतीत करते हैं। यह अपने पूरे जीवन में सत्य की खोज करने में व्यस्त रहते हैं और अंत में इन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।