1 पहला घर -: जातक ग्रहों के प्रभाव में रहता है। ग्रह प्रबल हों तो जातक को समृद्धि मिलती है, वहीं ग्रह की सामान्य दशा होने पर जातक को औसत लाभ होता है एवं ग्रहों की कमजोर स्थिति जातक को गरीब बना देती है। जातक को सार्वजनिक रूप से बात करने में झिझक महसूस होती है। वह बुद्धिमान होता है।
2 दूसरा घर -: इन्हें अपनी माता के परिजनों से धन लाभ होता है। वह साहसी, सुखी और भाग्यशाली होते हैं। यह अत्यधिक फिजूलखर्चा करते हैं।
3 तीसरा घर -: यह जातक अपनी सौतेली माता एवं भाई से परेशान रहते हैं। यह दयालु एवं सैद्धांतिक होते हैं। यह अपनी किस्मत खुद बनाते हैं एवं इनका स्वास्थ्य ज्यादातर खराब ही रहता है।
4 चौथा घर -: इन जातकों को समृद्धि और सम्मान मिलता है। यह धार्मिक और परंपरागत होते हैं।
5 पांचवा घर -: यह भगवान विष्णु के उपासक होते हैं और सभी को प्रेम करते हैं। इनकी माता सम्मानित परिवार से होती हैं।
6 छठा घर -: यह जातक धोखेबाज और कपटी होता है। इनमें कई बुराईयां होती हैं।
7 सातवां घर -: इस घर के चिह्न पर ही जातक का निवास स्थान निर्भर करता है। गतिशील चिह्न होने की स्थिति में जातक को अपने घर से दूर जाकर काम करना पड़ता है। इनके पास अत्यधिक जमीन-जायदाद होती है और यह सुखमय जीवन बिताते हैं।
8 अष्टम् घर -: इनमें प्रजनन क्षमता बहुत कम होती है। इनके पिता की अल्पायु होती है। ये अत्यधिक तनाव में रहते हैं, संपत्ति का नुकसान और कानूनी मामलों में फंसे रहते हैं।
9 नवम् घर -: यह जातक और उनके पिता के पास संपत्ति, सम्मान और प्रतिष्ठा होती है। इन्हें हर तरह से लाभ होता है।
10 दसवां घर -: चौथे घर के स्वामी के प्रभावित होने पर जातक की प्रतिष्ठा का ह्रास होता है। इन्हें राजनीतिक सफलता मिलती है।
11 ग्यारहवां घर -: इन जातकों की माता अत्यंत सुख देती हैं, सौतेली मां के होने पर भी इन जातकों को समान प्रेम ही मिलता है। यह दयालु होते हैं। इनकी सेहत बिगड़ी रहती है एवं यह केवल अपने लिए कमाते हैं।
12 बारहवां घर -: इनका जीवन गरीबी और दुखों में बीतता है। इनकी माता की अल्पायु होती है।