1 पहला घर -: जातक अपने व्यापार की शुरूआत करता है। यदि इस घर में लग्न स्वामी के साथ कर्म भाव हो तो जातक को अपार सफलता मिलती है। वह दानी एवं समाजसेवी होते हैं।
2 दूसरा घर -: होटल और रेस्तरां से जुड़े व्यापारियों को सफलता प्राप्त होती है। कर्म भाव के प्रभावित होने पर जातक द्वारा लिए गए निर्णय उनके व्यापार को हानि पहुंचाते हैं।
3 तीसरा घर -: 10वें स्वामी के अनुकूल प्रभाव में जातक एक सफल प्रोफेसर एवं लेखक बनता है। उसे अपने परिजनों से फायदा पहुंचता है। नवांशा लग्न के 8,6 और 12वें घर में होने पर जातक को धीरे-धीरे सफलता मिलती है। तीसरे स्वामी के प्रभाव में जातक का अपने भाई-बहनों से प्रतिस्पर्धा रहती है।
4 चौथा घर -: यह जातक अपने ज्ञान और करूणा भाव के कारण जाने जाते हैं। यह कृषि और प्रॉपर्टी मे व्यवसाय करते हैं। चौथे, नवम् और दसवें स्वामी की सुयंक्ति होने पर जातक देश का राष्ट्रपति, मंत्री या राजनयिक बनते हैं।
5 पांचवा घर -: यह जातक कमिशन एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। यह जुआ और धोखाधड़ी जैसे कामों में भी लिप्त रहते हैं। नवांश लग्न के दसवें स्वामी के 6,8 और 12वें घर में होने की स्थिति में वह किसी अनाथालय के प्रमुख बन सकते हैं।
6 छठा घर -: यह जातक जेल और न्याय के क्षेत्र से जुड़े होते हैं। शनि के पक्ष में होने पर जातक को पैसा कमाने के अवसर प्राप्त होते हैं। राहु से जुड़े होने पर जातक किसी गैर कानूनी काम में पड़ सकता है या उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
7 सातवां घर -: इन जातकों की पत्नी अत्यंत धार्मिक होती हैं और व्यापार के सिलसिले में विदेश यात्रा भी करती हैं। कर्म भाव के प्रभावित होने की स्थिति में जातक अत्यंत कामुक हो जाता है।
8 अष्टम् घर -: जातक के जीवन में कई बदलाव आते हैं। स्वामी के प्रबल होने की दशा में जातक को कम समय के लिए किसी ऊंचे पद पर नियुक्त किया जाता है। स्वामी के प्रभावित होने पर वह अपराधी भी बन सकता है। बृहस्पति के प्रभाव में वह किसी धार्मिक संस्था का प्रमुख बन सकता है लेकिन शनि के पक्ष में होने पर वह किसी कब्रिस्तान का मालिक बन सकता है।
9 नवम् घर -: यह जातक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। यह अपने पैतृक व्यवसाय को संभालते हैं एवं इन्हें अपने परिवार से परंपरागत शिक्षा प्राप्त होती है।
10 दसवां घर -: ग्रह के प्रबल होने की दशा में जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है, ग्रह की कमजोर स्थिति में इन्हें दूसरों के अधीन रहकर कार्य करना पड़ता है। तीन ग्रहों की युति की स्थिति में जातक की मृत्यु संभव है।
11 ग्यारहवां घर -: स्वामी के अनुकूल स्थिति में होने पर जातक को सुख-समृद्धि एवं प्रसिद्धि प्राप्त होती है। उसके प्रभावी लोगों से संबंध बनते हैं किंतु स्वामी के प्रभाव में जातक को दोस्तों से धोखा मिल सकता है।
12 बारहवां घर -: विदेश में कार्य करने का मौका मिल सकता है एवं इन्हें अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ग्रह की अनुकूल स्थिति में जातक की संत बनने की संभावना है।