1 पहला घर -: यह जातक आकर्षित और सौम्य होते हैं लेकिन शारीरिक रूप से यह दुर्बल होते हैं। राशि अगर द्विस्वभाव हो तो यह अधिक यात्रा करते हैं। लग्न में छठे भाव के स्वामी के साथ व्यय भाव होने पर जातक की लंबी उम्र होती है लेकिन यदि अष्टमेष पीडित हो तो जातक की मृत्यु जल्दी होना संभव है।
2 दूसरा घर -: कर्ज के कारण इन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है। व्यय भाव की शुभ स्थिति में होने पर बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। जातक की दृष्टि भी कमजोर हो सकती है।
3 तीसरा घर -: यह जातक शांत लेकिन डरपोक होते हैं। ग्रह के पीडित होने की स्थिति में जातक कान में इंफेक्शन से परेशान हो सकता है। वह अपने भाई-बहनों पर पैसे खर्च कर सकता है। लेखक के रूप में यह विफल रहते हैं। यह ज्यादा धन नहीं कमाते।
4 चौथा घर -: जातक की माता अल्पायु होती हैं एवं जातक को व्यर्थ की चिंताएं घेरे रहती हैं। इनके अपने परिजनों से अच्छे संबंध नहीं होते तथा यह विदेश में रहना पसंद करते हैं। शुक्र ग्रह की प्रबल स्थिति में कोई वाहन खरीदने की संभावना है किंतु यह आपकी मुश्किलें ही बढ़ाएगा।
5 पांचवा घर -: संतान प्राप्ति में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। यह धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। इनमें आत्मसम्मान की कमी होती है एवं यह कृषि कार्यों में विफल रहते हैं।
6 छठा घर -: जातक की दीर्घायु होती है एवं वह धनी और समृद्ध होता है। यह एक बढिया विपरीत राज योग है। कानूनी मामलों के कारण इन्हें धन की हानि हो सकती है लेकिन यह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। द्वादश भाव के स्वामी के पीडित होने की स्थिति में जातक अपनी ही माता को नापसंद करने लगता है। इन्हें अपनी संतान से सुख प्राप्त नहीं होता।
7 सातवां घर -: यह जातक सन्यासी बन सकते है। इनकी पत्नी गरीब परिवार से होती है। शिक्षा के क्षेत्र में इन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
8 अष्टम् घर -: यह जातक शांतिप्रिय होते हैं। यह विपरीत राज योग है। यह जादू, काला जादू और गुप्त तरीकों से पैसा कमाते हैं। यह ईमानदार और प्रसिद्ध बनते हैं।
9 नवम् घर -: जातक को छोटी उम्र में अपने पिता को खोना पड़ सकता है। यह विदेश जाकर बस सकते हैं। यह अपनी पत्नी, दोस्तों और गुरू को नापसंद कर सकते हैं।
10 दसवां घर -: जातक को अपनी संतान से अपार सुख की प्राप्ति होती है। यह परिश्रमी होते हैं एवं नर्सिंग होम, अस्पताल व जेल में कार्य करते हैं।
11 ग्यारहवां घर -: यह जातक रत्नों का व्यापार कर सकते हैं। इनका भाई विकलांग हो सकता है एवं उसके इलाज पर अधिकतर धन खर्च होने के कारण यह कुंठा से भर जाते हैं। इनके शत्रुओं की संख्या भी काफी होती है।
12 बारहवां घर -: यह जातक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं एवं यह अपना धन सामाजिक कार्यों पर खर्च करते हैं। ग्रह के पीडित होने की स्थिति में जातक परेशान एवं अशांत रह सकता है।