गुरू ताकतवर एवं सबसे उदार ग्रह है। सप्ताह का चौथा दिन बृहस्पतिवार गुरू से जुड़ा हुआ है। यह हर परिस्थिति को विशाल दृष्टिकोण से देखने की क्षमता रखता है। गुरु के मजबूत होने से धन-धान्य में वृद्धि, विवेकशीलता, तर्क-न्याय से भरा जीवन मिलता है किंतु उसका बलहीन होना विवेकहीन, अन्यायी, कलंक आदि अपमान, राज दण्ड से भय आदि प्रदान करवाता है। गुरु ग्रह के कुप्रभाव को कम करने के उपाय -:
ऊँ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेधु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण देहि चित्रम ।।
ऊं गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात ॥
ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नम:।।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।।
पीले पुखराज रत्न का स्वामी बृहस्पति है। यह रत्न गुरू के दोषों को दूर करने की क्षमता रखता है। यदि आप पुखराज नहीं खरीद पा रहे हैं या अच्छां पुखराज न मिलने की स्थिति में इसके विकल्प के रूप में पीला मोती, पीला जिरकॉन या सुनैला पहन सकते हैं।