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मां ब्रह्मचारिणी

नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की आराधना होती है। मां दुर्गा का यह दूसरा स्‍वरूप प्रेम और उदारता का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्‍ति होती है। देवी ब्रह्मचारिणी को रुद्राक्ष बेहद प्रिय हैं इसलिए वे सदैव रुद्राक्ष के मनकों से बने आभूषण ही धारण करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी के कुंवारे रूप का इस दिन पूजन किया जाता है।

नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से भक्‍त को परमसुख और मोक्ष की प्राप्‍ति होती है। देवी का ये स्‍वरूप मोक्ष प्रदायक है अर्थात्‍ जो भी व्‍यक्‍ति नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा का ब्रह्मचारिणी रूप में व्रत एवं पूजन करता है उसे निश्चित ही मां के आशीर्वाद से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है

मां ब्रह्मचारिणी का स्‍वरूप

मां ब्रह्मचारिणी शांत और निमग्‍न होकर तप में लीन रहती हैं। मां ब्रह्मचारिणी अपने दाएं हाथ में अक्ष माला और बाएं हाथ में कमण्‍डल धारण करती हैं। मान्‍यता है कि देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात् ब्रह्मा जी का स्‍वरूप हैं। मां ब्रह्मचारिणी को तपश्‍चारिणी, अपर्णा और उमा के नाम से भी जाना जाता है।

पूजन विधि -:

मां ब्रह्मचारिणी की आराधना में सबसे पहले स्‍थापित सभी देवी-देवताओं, गणों एवं योगिनियों की फूल, अक्षत, रोली और चंदन से पूजा करें। उन्‍हें दूध, दही, शर्करा, घृत और शहद से स्‍नान करवाएं। मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित प्रसाद का एक अंश अन्‍य स्‍थापित देवी-देवताओं को भी अर्पित करें। प्रसाद के बाद आचमन और फिर उसके पश्‍चात् पान और सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें। कलश के पूजन और नवग्रह, दशदिक्‍पाल, नगर ददेवता, ग्राम देवता की पूजा करें। इन सभी के पूजन के पश्‍चात् मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना आरंभ करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सर्वप्रथम हाथों में एक फूल लें और मां से प्रार्थना करें। अब मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्‍नान कराएं और उन्‍हें फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें। मां ब्रह्मचारिणी को लाल रंग के पुष्‍प बहुत पसंद हैं इसलिए इनके पूजन में लाल रंग के पुष्‍पों का ही प्रयोग करें। घी का दीपक जलाएं और धूप दीप एवं कपूर से मां दुर्गा की आरती करें। इसके पश्‍चात् देवी से अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।

मां ब्रह्मचारिणी के पूजन का महत्‍व

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करने से आयु में वृद्धि होती है। मां ब्राह्मी और स्‍मरण शक्‍ति को बढ़ाने वाली हैं। इनके पूजन से रूधिर विकारों का नाश होता है और स्‍वर मधुर बनता है। मां ब्रह्मचारिणी को देवी सरस्‍वती भी कहा जाता है। देवी ब्रह्मचारिणी सदैव अपने भक्‍तों पर कृपा दृष्टि रखती हैं। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन एवं व्रत करने वाले हर भक्‍त को सुख, शांति और ऐश्‍वर्य की प्राप्‍ति होती है। जो भी मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करता है उसके सभी दुखों और परेशानियों का नाश हो जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र -:

ऊं देवी ब्रह्माचारिर्ण्‍य नम :।।

प्रार्थना -:

दधाना कर पद्मभ्‍यामक्षमाला कमण्‍डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्‍यनुत्तमा।।

स्‍तुति -:

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्माचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:।।

 
मां शैलपुत्री   |   मां ब्रह्मचारिणी   |   मां चंद्रघंटा   |   मां कूष्मांडा   |   मां स्कंदमाता   |   मां कात्याियनी   |   मां कालरात्रि   |   मां महागौरी   |   मां सिद्धिदात्री   |  
 

AAHUTI MANTRA

ध्यान मंत्र दधांना कर पहाभ्यामक्षमाला कमण्डलम।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मiचारिण्यनुत्तमा।।

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