नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी कूष्मांडा किसी भी रोग को तुरंत नष्ट करने की शक्ति रखती हैं। देवी के कूष्मांडा स्वरूप की उपासना से भक्तों को धन-धान्य और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। देवी कूष्मांडा को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है।
कु का अर्थ है 'कुछ', ऊष्मा का अर्थ है 'ताप और अंडा का अर्थ है ब्रह्मांड या सृष्टि। शास्त्रों के अनुसार संसार में फैले अंधकार को देवी कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से दूर कर दिया था। मां कूष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं जो धर्म का प्रतीक है। देवी के हाथ में एक अमृत कलश है जिससे वह अपने भक्तों को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान प्रदान करती हैं।
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और उनकी आठवीं भुजा में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला रहती है।
जो भी भक्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की उपासना करता है उसे अपने जीवन में आयु, यश, बल और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के चौथे दिन साधक का मन अदाहत में अवस्थित रहता है।
मां कूष्मांडा के पूजन में हरे रंग के वस्त्र धारण करें। पूजन के दौरान देवी कूष्मांडा को हरी इलायची, सौंफ और कुम्हड़ा अर्पित करें। इसके पश्चात् देवी कूष्मांडा का स्मरण करते हुए ‘ऊं कूष्मांडा देव्यै नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें। माता रानी के आगे घी का दीया जलाएं और माता रानी सहित अन्य सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं। मां कूष्मांडा की आरती करें और उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं। देवी कूष्मांडा को प्रसाद का भोग लगाने के बाद किसी ब्राह्मण को दान दें और उसके पश्चात् स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
कहते हैं जो भी भक्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को उनका प्रिय भोग अर्पित करता है उसे देवी की खास कृपा की प्राप्ति होती है। देवी कूष्मांडा को प्रसाद में मालपुए का भोग पसंद होता है। मालपुए का भोग लगाने से देवी कूष्मांडा आपकी प्रार्थना को शीघ्र पूरा करती हैं।
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधानाहस्तपद्याभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा के पूजन से मनुष्य के शरीर का अनाहत चक्र जागृत होता है जिससे रोग और शोक का नाश होता है। देवी कूष्मांडा के पूजन से बुद्धि और बल का विकास होता है। जो लोग अपनी तार्किक क्षमता या बुद्धि का विकास करना चाहते हैं वे नवरात्र के चौथे दिन कूष्मांडा देवी की आराधना करें।
देवी कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए कंठस्थ कर नवरात्रि के चौथे दिन इस श्लोक का जाप करें -:
या देवी सर्वभूतेषू मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्स्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थात् : हे मां! आप सर्वत्र विराजमान हैं और कूष्मांडा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम। हे मां! मुझे मेरे सब पापों से मुक्ति दें।
देवी कूष्मांडा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती हैं।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
नवरात्रि से पावन और शक्तियों से भरपूर समय कोई दूसरा नहीं होता। इन नौ दिनों के दौरान की गई आराधना और प्रार्थना विशेष फल देने वाली होती है। इसलिए अपने प्रिय पाठकों के लिए AstroVidhi.com ने इस नवदुर्गा में विशेष अनुष्ठान करने और इस नौ दिन के अनुष्ठान में मां के चरणों में 1001 नवदुर्गा यंत्र रखकर उन्हें अभिमंत्रित करके लोगों तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
इस अनुष्ठान की शुरूआत पहले नवरात्र (10 अक्टूबर) को सुबह 11 बजे से शुरू होगा। इस अनुष्ठान में कोई भी फेसबुक के द्वारा शामिल हो सकता है। और यदि आप इस अनुष्ठान में विभिन्न फल प्राप्ति के लिए संकल्प लेकर पूजा करवाना चाहते हैं तो उसके लिए मात्र 2100/- रू की सहयोग राशि देकर अपना स्थान नियत करवाना होगा।
माता के चरणों में आपके नाम से जो अर्जी लगाई जाएगी वह विश्व प्रख्यात ब्रहाम्ण पं. सूरज शास्त्री द्वारा सम्पूर्ण वेदिक नियमों के अनुसार होगी। जिनके साथ जाने-माने ज्योतिषाचार्य आचार्य रमन भी होंगे।
अपने जीवन से कष्टों को दूर करके मनवांछित फल प्राप्त करने का इससे बेहतर समय कोई और नहीं है। इसलिए नवरात्र की इस पूजा में आप AstroVidhi.com के साथ शामिल हों, माता के चरणों में स्थापित अभिमंत्रित नवदुर्गा यंत्र की अपने घर में स्थापना करें और अपने कष्टों से मुक्ति पाएं।
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