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प्रेत बाधा



 
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क्‍या है प्रेत बाधा योग ?

प्रेत बाधा का अ‍र्थ मनुष्‍य के शरीर पर किसी भूत-प्रेत का साया पड़ जाना है। यह योग न केवल जातक को परेशान करता है अपितु उसके पूरे परिवार को भयभीत कर देता है। प्रेत बाधा में अदृश्‍य शक्‍तियां मनुष्‍य के शरीर पर कब्‍जा कर लेती हैं। ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार कुंडली में प्रेत बाधा योग बनने पर जातक को भूत-प्रेत से पीड़ा मिलती है।

प्रभावित जातक

प्रेत बाधा से पीडित व्‍यक्‍ति का व्‍यवहार असामान्‍य हो जाता है। उसके शरीर में नकरात्‍मक शक्‍तियां प्रवेश कर लेती हैं जिससे उसके लिए असामान्‍य काम भी संभव हो जाते हैं। प्रेत से पीड़ित जातक चीखता-चिल्लाता है, रोता है अथवा इधर-उधर दौड़ता रहता है। किसी को भी उसे वश में कर पाना अत्‍यंत मुश्किल हो जाता है। उसकी वाणी में कटुता साफ झलकती है। उसे भूख-प्‍यास नहीं लगती और वह तीव्र स्वर में सांसें लेता है।

प्रभाव

प्रेत बाधा योग के प्रभाव में व्‍यक्‍ति के जीवन पर केवल नकारात्‍मक असर ही पड़ते हैं। वह स्‍वयं और दूसरों को हानि पहुंचाता है। उसे ऐसी चीजें दिखाई देती हैं जो अन्‍य किसी को नहीं दिखती जैसे उसे कोई घूर रहा है या उसे कोई मारना चाहता है आदि। कुंडली के विशेष योग बनने पर जातक प्रेत बाधा से पीडित होता है, जैसे -:

कुंडली में प्रथम भाव में चन्द्र के साथ राहु की युति होने पर एवं पंचम और नवम भाव में कोई क्रूर ग्रह स्थित हो तो उस जातक पर भूत-प्रेत, पिशाच या बुरी आत्माओं का प्रभाव रहता है। इसके अलावा गोचर के दौरान भी यही स्थिति रहने पर प्रेत बाधा से पीडित होना निश्‍चित है।

कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से किसी भी एक ग्रह के सप्तम भाव में होने पर जातक को भूत-प्रेतों से कष्‍ट मिलता है। ये जातक ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते हैं।

इसके अलावा कुंडली में शनि, मंगल और राहु की युति होने पर व्‍यक्‍ति ऊपरी बाधा, प्रेत, पिशाच या भूत बाधा से परेशान रहता है।

प्रेत बाधा से पीड़ित मनुष्‍य की पहचान उसके व्‍यवहार और कार्यों में आए बदलाव के आधार पर की जा सकती है।

प्रेत बाधा योग से पीडित जातक का जीवन नरकीय हो जाता है। उसे भूख-प्‍यास नहीं लगती और मन में अशांति रहती है। इस बाधा के कारण व्‍यक्‍ति और उससे संबंधित सभी लोगों को भी कष्‍ट झेलने पड़ते हैं।

उपाय

  • पीडित जातक को बिना बताए उसके सिरहाने चाकू, छुरी या कैंची रख दें। उसके कमरे में हनुमान जी, दुर्गा या काली का चित्र लगाएं एवं गंगा जल छिड़क कर लोहबान, अगरबत्ती या गुग्गल धूप जलाएं।
  •  ध्‍यान रहे प्रेतात्मा को कभी भी बुरा-भला या कड़वे शब्‍द न बोलें। इससे वे और अधिक क्रोधित हो जाएंगें।
  •  घर के बड़े-बुजुर्ग अपने अनजाने अपराध के लिए भूत-प्रेत से क्षमा मांग लें। ऐसा कहा जाता है कि प्रेत मृदु बातों तथा सुस्वादुयुक्त भोगों के हवन से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं।
  • पीपल के पांच अखंडित स्वच्छ पत्तों पर पांच सुपारी, दो लौंग रख कर उस पर गंगाजल में घिसे चंदन से पत्तों पर रामदूताय हनुमान दो-दो बार लिख दें और उनके सामने धूप-दीप जला दें। ऐसा करने के पश्‍चात् पीडित व्यक्ति के शरीर को छोड़ देने की प्रार्थना करें।
  •  रुद्राक्ष की माला धारण करें।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • प्रेतात्‍माओं से सुरक्षा हेतु धतूरे की जड़ हाथ में बांधें।
  • घर के मुख्‍य द्वार पर सफेद रंग का पौधा लगाएं|
 
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