चंद्र ग्रहण वह स्थिति है जिसमें पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है। इस स्थिति में चंद्रमा का पूरा या आधा भाग ढ़क जाता है। इस अवस्था को ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
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चंद्र ग्रहण वह स्थिति है जिसमें पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है। इस स्थिति में चंद्रमा का पूरा या आधा भाग ढ़क जाता है। इस अवस्था को ही चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार धार्मिक दृष्टी से चन्द्र ग्रहण का विशेष महत्त्व है, यह शुभ नहीं माना जाता। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियों का पालन करना चाहिए। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय अपना अधिकतर समय ईश्वर की आराधना में व्यतीत करना चाहिए।
जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा के साथ राहू या केतु की दृष्टि हो इस अवस्था को चन्द्र ग्रहण कहते है, चन्द्र अगर नीच राशि का हो या फिर नीच ग्रह, अशुभ या पापी ग्रहों से घिरा हुआ हो तो यह भी चन्द्र ग्रहण दोष कहलाता है इस दोष के निवारण हेतु चन्द्र ग्रहण दोष पूजा अवश्य करवानी चाहिए।
चन्द्र ग्रहण दोष जाप मंत्र:-
108 बार “ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:” अथवा “ॐ सों सोमाय नम:” का जाप करना अच्छे परिणाम देता है।, इस मंत्र का जाप जितनी श्रद्धा और पवित्र भावना से किया जाएगा यह उतना ही फलदायक होगा।
चन्द्र ग्रहण दोष शांति के लिए चन्द्र देव और भगवान् शिव की आराधना करनी चाहिए।
धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा|
पूजन का समय :
पूजा का समय मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।
यह पूजा कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं। इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। कुंडली में चन्द्र ग्रहण का जो दोष लगा हुआ है उसके अशुभ प्रभाव को पूजा द्वारा कम किया जाता है।
यजमान द्वारा वांछित जानकारी :
नाम एवं गोत्र, पिता का नाम, जन्म तारीख, स्थान ||
आप AstroVidhi Customer Care Number 8285282851 पर संपर्क करके चन्द्र ग्रहण दोष शांति पूजा अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए करवाने का समय ले सकते हैं।जिस किसी की सुख-समृद्धि के लिए आप ये पूजा करवाना चाहते हैं उसका नाम, जन्म स्थान, गोत्र और पिता का नाम अवश्य ज्ञात होना चाहिए।