कुण्डली में राहु और केतु के विशेष स्थिति में होने पर कालसर्प योग बनता है। कालसर्प दोष के बारे में कहा गया है कि यह जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या श्राप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में बनता है।
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कुण्डली में राहु और केतु के विशेष स्थिति में होने पर कालसर्प योग बनता है। कालसर्प दोष के बारे में कहा गया है कि यह जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या श्राप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में बनता है।
यदि कुंडली के लग्न भाव में राहु विराजमान हो और सप्तम भाव में केतु ग्रह उपस्थित हो तथा बाकी ग्रह राहु-केतु के एक ओर स्थित हों तो कालसर्प दोष योग का निर्माण होता है।
काल सर्प दोष से प्रभावित जातक को सपने में सांप और पानी दिखाई देने के साथ-साथ स्वयं को हवा में उड़ते देखना, कार्यों में बार-बार अड़चनें आती हैं और साथ ही इनके विचारों में बार-बार बदलाव आते हैं और कोई भी काम करने से पहले मन में नकारात्मक विचार आते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता। यह जातक नशा करते हैं।
कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा करने का भी विधान है।
कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। भगवान शिव की आराधना द्वारा संभव है। भगवान शिव सर्पों को अपने गले में धारण करते हैं इसलिए शिव जी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और संपूर्ण पाप नष्ट होते हैं।
पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।
धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा |
आप AstroVidhi के Customer Care Number 8285282851 पर संपर्क करके कालसर्प दोष पूजन अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए करवाने का समय ले सकते हैं। जिस किसी के लिए आप ये पूजा करवाना चाहते हैं उसका नाम, जन्म स्थान, गोत्र और पिता का नाम अवश्य ज्ञात होना चाहिए।