भारतीय पौराणिक ग्रंथों, कहानियों तथा लोक कथाओं में मेरु का जिक्र किया गया है, मेरु का अर्थ पौराणिक ग्रंथों में प्रसिद्ध पर्वत या उच्च बिंदु से है, श्री मेरु अंगूठी अपने आप में एक अजूबा है। इसको धारण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इस अंगूठी की विशेषता है की इसकी बनावट कछुए की आकृति जैसी है।
डिलीवरी: | 5-8 दिनों में डिलीवरी |
मुफ़्त शिपिंग: | पूरे भारत में |
फ़ोन पर ख़रीदें: | +91 82852 82851 |
अभिमंत्रित: | फ्री अभिमन्त्रण आचार्य रमन जी द्वारा |
विवरण
धातु: | पंच धातु |
जेम्स्टोने: | जिरकॉन |
अँगूठी की मात्रा: | 2 अँगूठी |
साइज़: | एडजस्टेबल |
अभिमंत्रित: | पंडित सूरज शास्त्री |
भारतीय पौराणिक ग्रंथों, कहानियों तथा लोक कथाओं में मेरु का जिक्र किया गया है, मेरु का अर्थ पौराणिक ग्रंथों में प्रसिद्ध पर्वत या उच्च बिंदु से है, श्री मेरु अंगूठी अपने आप में एक अजूबा है। इसको धारण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इस अंगूठी की विशेषता है की इसकी बनावट कछुए की आकृति जैसी है।
पौराणिक ग्रंथों, कहानियों तथा लोक कथाओं के आधारपर समुद्र मंथन के दौरान भगवान् विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया था और इसी कारण शास्त्रों और हिन्दू धर्म में कछुए का बहुत महत्व है। वास्तु के अनुसार जिस घर में कछुए से सम्बंधित कोई भी वस्तु होती है वहां पर कभी भी धन संपत्ति से सम्बंधित दिक्कते नहीं होती।
ध्यान रखे की इस अंगूठी को इस तरह से पहनें की कछुए के सिर वाला हिस्सा पहनने वाले व्यक्ति की ओर आना चाहिए। अगर कछुए का मुख बाहर की ओर होगा तो धन आने की बजाय हाथ से चला जाएगा और आप कंगाल हो जायेंगे।
श्री मेरु अंगूठी पहनने के बाद इसे अधिक घूमाना या बार-बार उतारकर कहीं पर भी रखना सही नहीं होता, अधिक बार घूमाने से कछुए का सिर अपनी दिशा बदलेगा जो की आने वाले धन में रूकावट ला सकता है।
AstroVidhi में यह श्री मेरु अंगूठी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित करके आपके पास भेजी जाएगी जिससे यह आपको अधिक से अधिक लाभ दे सके।
Based on 1 reviews
Write a reviewभगवान विष्णु की पूजा के लिए महत्वपूर्ण और अत्यंत सुन्दर है ये अंगूठी दिखने में| धन्यवाद् astrovidhi के आचार्य को :)